विश्व अल्जाइमर दिवस: मानसिक स्वास्थ्य पर जीवनशैली का प्रभाव

विश्व अल्जाइमर दिवस का महत्व
नई दिल्ली: हर वर्ष 21 सितंबर को 'विश्व अल्जाइमर दिवस' मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को अल्जाइमर और उससे संबंधित बीमारियों के प्रति जागरूक करना है। अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है, जो व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता, याददाश्त और दैनिक कार्यों को प्रभावित करती है।
जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य
विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि खराब जीवनशैली का मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियां, जो पहले 60-70 वर्ष की आयु में देखी जाती थीं, अब 30-40 वर्ष की आयु में भी प्रकट होने लगी हैं। ये बीमारियां न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि मस्तिष्क पर भी गंभीर प्रभाव डालती हैं।
डायबिटीज और मस्तिष्क स्वास्थ्य
यदि मधुमेह का शुगर स्तर लंबे समय तक नियंत्रित नहीं रहता है, तो मस्तिष्क को आवश्यक ऊर्जा नहीं मिल पाती। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं सुस्त पड़ जाती हैं और याददाश्त में कठिनाई होने लगती है। कुछ शोधकर्ताओं ने इसे टाइप-3 डायबिटीज का नाम दिया है, क्योंकि यह मस्तिष्क को आंतरिक रूप से नुकसान पहुंचाता है।
हाई ब्लड प्रेशर का प्रभाव
हालांकि उच्च रक्तचाप को दिल की बीमारी माना जाता है, लेकिन इसका मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव होता है। जब रक्तचाप लगातार बढ़ता है, तो मस्तिष्क की नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है। उचित पोषण और ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है।
मोटापे का खतरा
मोटापे से शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को कमजोर कर सकते हैं। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है, लेकिन जब इसके लक्षण स्पष्ट होते हैं, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है।