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विष्णु पुराण में यौन संबंधों के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश

विष्णु पुराण के 11वें अध्याय में गृहस्थों के लिए यौन संबंधों के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसमें बताया गया है कि सृष्टि के विकास के लिए मैथुन की व्यवस्था आवश्यक है, लेकिन इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। दिन के समय संबंध बनाने से पाप लगता है, और भूमि पर संबंध बनाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जानें और भी महत्वपूर्ण बातें जो विवाहित व्यक्तियों को ध्यान में रखनी चाहिए।
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विष्णु पुराण में यौन संबंधों के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश

गृहस्थों के लिए यौन संबंधों के नियम

विष्णु पुराण के 11वें अध्याय में गृहस्थों के लिए यौन संबंधों के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसमें बताया गया है कि सृष्टि के विकास के लिए प्रकृति में मैथुन की व्यवस्था है, लेकिन इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। समय और स्थान का ध्यान न रखने पर पाप लगता है, और यह आयु, धन और स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए विवाहित व्यक्तियों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।


दिन के समय यौन संबंध बनाना है पाप

विष्णु पुराण के अनुसार, दिन के समय यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से जातक को पाप लगता है और नरक में दंड भोगना पड़ता है।


भूमि पर संबंध बनाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

भूमि पर यौन संबंध बनाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे शरीर रोगग्रस्त हो सकता है और स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है।


जलाशयों में संबंध बनाना है अमंगल

स्विमिंग पूल, जलाशय और नदियों में यौन संबंध बनाने से जातक को अमंगल का सामना करना पड़ता है।


त्योहारों पर संबंध बनाना है हानिकारक

त्योहारों के दिन यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने से धन और धर्म दोनों की हानि होती है।


परस्त्री से संबंध बनाना है महापाप

पुराण के अनुसार, परस्त्री से संबंध बनाने का विचार भी महापाप माना जाता है। ऐसा करने वाले जातक अगले जन्म में अस्थिविहीन जीव बनते हैं, जिससे उनकी आयु कम होती है और नरक की यातना भोगनी पड़ती है।


सुबह और सूर्यास्त के समय संबंध बनाना है अशुभ

सुबह और सूर्यास्त के समय यौन क्रिया को अशुभ माना गया है। इससे शरीर रोगी होता है और आयु भी कम होती है।