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वैरिकोसील: पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव और पहचान के तरीके

वैरिकोसील एक सामान्य समस्या है, जो मुख्यतः 15 से 30 वर्ष के युवाओं में देखी जाती है। यह समस्या पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है, जिससे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और स्पर्म काउंट में कमी हो सकती है। इस लेख में, हम वैरिकोसील के कारण, इसके प्रभाव और पहचान के तरीकों पर चर्चा करेंगे। जानें कि यह समस्या कैसे विकसित होती है और इसके लक्षण क्या होते हैं।
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वैरिकोसील: पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर प्रभाव और पहचान के तरीके

वैरिकोसील की समस्या का परिचय

वर्तमान में वैरिकोसील एक आम समस्या बन चुकी है। यह क्या है और इसके कारण क्या हैं, इसके साथ ही यह बीमारी किन समस्याओं का कारण बन सकती है, इस पर चर्चा करेंगे। यह समस्या मुख्यतः 15 से 30 वर्ष के युवाओं में देखी जाती है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया गया, तो यह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और स्पर्म काउंट में कमी जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि वैरिकोसील क्या है और यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है।


वैरिकोसील क्या है?

पुरुषों के शरीर में टेस्टिस एक महत्वपूर्ण अंग है, जो मेल प्रजनन प्रणाली का मुख्य हिस्सा होता है। टेस्टिस के अंदर रक्त का संचार करने वाली नसें होती हैं। यदि ये नसें किसी कारणवश फूल जाती हैं, तो रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। टेस्टिस के अंदर मौजूद वाल्व रक्त को वापस नहीं जाने देते, जिससे रक्त का प्रवाह नीचे की ओर बढ़ने लगता है। इसे वैरिकोस वीन कहा जाता है, और जब यह टेस्टिस में होता है, तो इसे वैरिकोसील कहा जाता है।


वैरिकोसील कैसे विकसित होता है?

विशेषज्ञों के अनुसार, पुरुषों में दो टेस्टिस होते हैं - दाहिना और बायां। ये एक थैली में होते हैं, जिसे स्क्रोटम कहा जाता है। टेस्टिस स्पर्मेटिक कॉर्ड के माध्यम से स्क्रोटम में लटकते हैं। स्पर्मेटिक कॉर्ड में कई तत्व होते हैं, जिनमें टेस्टिकुलर आर्टरी शामिल होती है, जो रक्त को टेस्टिस में लाती है।


वेस डिफ्रेंस स्पर्म को प्रोस्टेट तक ले जाता है, और इसमें टेस्टिकुलर वेन्स होती हैं, जो एक गुच्छे में होती हैं, जिसे पेनपेमिफम प्लेक्सस कहा जाता है। जब ये नसें खुल जाती हैं, तो वाल्व कमजोर हो जाते हैं, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है। यही स्थिति वैरिकोसील कहलाती है।


वैरिकोसील का प्रभाव

विशेषज्ञों का कहना है कि वैरिकोसील पुरुषों के स्वास्थ्य को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है। सबसे पहले, यह समझना आवश्यक है कि टेस्टिस के कार्य क्या हैं।


टेस्टिस के कार्य

टेस्टिस का पहला कार्य पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन का निर्माण करना है, जो एक महत्वपूर्ण मेल हार्मोन है। दूसरा कार्य स्पर्म का उत्पादन करना है।


वैरिकोसील से होने वाली समस्याएं

जब किसी पुरुष को वैरिकोसील की समस्या होती है, तो उनके टेस्टिकल्स सही तरीके से कार्य नहीं कर पाते। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो टेस्टिकल्स सिकुड़ सकते हैं।


स्पर्म उत्पादन में कमी

जब टेस्टिस ठीक से कार्य नहीं करते, तो स्पर्म उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन भी कम होता है, जो कि प्रजनन में बाधा डालता है।


संभावित बदलाव

पुरुषों में तनाव, चिड़चिड़ापन, और यौन गतिविधियों में कमी आ सकती है। टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी से शरीर में कई अन्य बदलाव भी हो सकते हैं।


वैरिकोसील के कारण

वर्तमान में चिकित्सा क्षेत्र में इस बीमारी के कारणों पर शोध जारी है। हालांकि, अभी तक इसके सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है। यह समस्या विशेष रूप से 15 से 30 वर्ष के युवाओं और भारी वजन उठाने वाले पुरुषों में अधिक देखी जाती है।


वैरिकोसील की पहचान कैसे करें

डॉक्टरों का कहना है कि कई मामलों में इस बीमारी के लक्षण स्पष्ट नहीं होते। रूटीन जांच में भी इसका पता नहीं चलता। अक्सर, जब कपल बच्चे के जन्म में कठिनाई का सामना करते हैं, तब अल्ट्रासाउंड से इस बीमारी का पता चलता है। कुछ मामलों में, मरीज को टेस्टिकल्स में दर्द का अनुभव होता है। यदि यह समस्या बढ़ जाती है, तो स्क्रोटम और टेस्टिकल्स में नसें सूज जाती हैं।