शरीर की तीन प्रकृतियों का संतुलन बनाए रखने के उपाय
शरीर में तीन प्रमुख प्रकृतियाँ होती हैं: वात, पित्त और कफ। इनका संतुलन बनाए रखना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। जब ये असंतुलित हो जाती हैं, तो विभिन्न बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि कैसे इन तीनों प्रकृतियों का संतुलन बनाए रखा जाए, कौन से खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए और किस प्रकार के योगाभ्यास से स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
Sep 6, 2025, 13:43 IST
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शरीर की तीन प्रमुख प्रकृतियाँ
हमारे शरीर में तीन मुख्य प्रकृतियाँ होती हैं: वात, पित्त और कफ। जब ये तीनों असंतुलित हो जाती हैं, तो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इनका संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि शरीर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। आज हम इन तीनों के संतुलन के लिए आवश्यक सावधानियों के बारे में चर्चा करेंगे।
वात रोग के लिए सावधानियाँ
- जिन्हें हड्डियों, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द होता है, उन्हें खट्टी चीजें जैसे नींबू और दही से परहेज करना चाहिए। ये चीजें वात रोग को बढ़ा सकती हैं।
जोड़ों के दर्द में क्या न खाएँ
- जोड़ों के दर्द से पीड़ित व्यक्तियों को फूलगोभी, खीरा, मटर और उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये दर्द को बढ़ा सकते हैं।
पित्त रोग के लिए आहार
- पित्त रोग से ग्रसित व्यक्तियों को गर्म चीजें नहीं खानी चाहिए और भोजन के एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। कच्चा भोजन जैसे सलाद का सेवन अधिक करना चाहिए, जिसमें 50 प्रतिशत कच्चा भोजन शामिल हो। पत्तागोभी, खीरा, टमाटर और चुकंदर का सलाद पित्त रोग में लाभकारी होता है।
कफ रोग में क्या करें
- कफ रोग होने पर चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। घी और तेल में बने पराठे और ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। इसके बजाय गर्म पानी का सेवन करें।
स्वास्थ्य के लिए योग और जूस
- एलोवेरा और गिलोय का जूस पीने से तीनों प्रकृतियाँ संतुलित होती हैं। इसके साथ ही, योग और आसनों का अभ्यास जैसे कपालभाति और अनुलोम विलोम करने से भी स्वास्थ्य में सुधार होता है।