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शरीर के तापमान नियंत्रण में पसीने की भूमिका

इस लेख में हम समझेंगे कि कैसे पसीना हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर की भट्टी की तरह कार्य करते हुए, पसीना न केवल तापमान को स्थिर रखता है, बल्कि शरीर से गंदगी को भी बाहर निकालता है। जानें इसके पीछे की विज्ञानिक प्रक्रिया और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव।
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शरीर के तापमान नियंत्रण में पसीने की भूमिका

शरीर की भट्टी: ऊर्जा और तापमान का संतुलन

हमारे शरीर एक भट्टी की तरह कार्य करते हैं। जो भोजन हम ग्रहण करते हैं, वह हमारे शरीर में ऊर्जा का स्रोत बनता है। यह ऑक्सीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है। एक स्वस्थ वयस्क के शरीर में लगभग 100 कैलोरी ऊष्मा उत्पन्न होती है, जो शून्य डिग्री सेंटीग्रेड पर 25 किलोग्राम पानी को उबालने के लिए पर्याप्त है। इस ऊष्मा का हमारे शरीर में क्या महत्व है?



हमारे शरीर में तापमान को नियमित रखने के लिए कई आंतरिक प्रक्रियाएँ होती हैं, जो सामान्यतः 98.4 डिग्री फारेनहाइट से अधिक नहीं बढ़ने देतीं। पसीना आना शरीर की एक महत्वपूर्ण क्रिया है, जो तापमान को स्थिर बनाए रखती है। वास्तव में, हमारे शरीर के तापमान का नियंत्रण मस्तिष्क में स्थित तापमान केंद्र द्वारा किया जाता है, जिसमें तीन मुख्य हिस्से होते हैं: नियंत्रण केंद्र, गर्म करने वाला केंद्र, और ठंडक पैदा करने वाला केंद्र।



  • यदि रक्त का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, तो गर्मी पैदा करने वाला केंद्र सक्रिय हो जाता है। कुछ ग्रंथियाँ रासायनिक पदार्थ उत्पन्न करती हैं, जिन्हें ईंधन के रूप में उपयोग कर मांसपेशियाँ और जिगर आंतरिक तापमान को बढ़ाते हैं।


इसके विपरीत, यदि रक्त का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है, तो ठंडक पैदा करने वाला केंद्र सक्रिय होता है। ऑक्सीकरण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और स्वेद ग्रंथियाँ पसीना छोड़ने लगती हैं। पसीने में जल, यूरिया और कुछ लवण होते हैं, जो त्वचा पर निकल आते हैं। जब शरीर का तापमान बढ़ता है, तो पसीना तेजी से निकलता है और शरीर की सतह को ठंडा करता है। यह प्रक्रिया गर्मियों में सुराही के पानी के ठंडा होने के समान होती है। विज्ञान की दृष्टि से, वाष्पीकरण हमेशा ठंडक उत्पन्न करता है, इसलिए पसीना निकलना शरीर के ताप नियंत्रण की एक महत्वपूर्ण क्रिया है। पसीना निकलने से शरीर की गंदगी भी बाहर निकल जाती है।