शर्करा युक्त पेय और कैंसर का खतरा: नए अध्ययन के निष्कर्ष

शर्करा पेय की बढ़ती खपत
अध्ययनों के अनुसार, 1990 से 2016 के बीच, वैश्विक स्तर पर शर्करा पेय की खपत में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जब स्वास्थ्य विशेषज्ञ शर्करा युक्त पेय के सेवन के खिलाफ चेतावनी देते हैं, तो उनका तात्पर्य आमतौर पर सोडा, फलों के रस, मीठी चाय और ऊर्जा पेय जैसे उत्पादों से होता है। लेकिन एक नए अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि 100 प्रतिशत फलों के रस, जो प्राकृतिक शर्करा में उच्च होते हैं, भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
शर्करा पेय के स्वास्थ्य पर प्रभाव
हालिया शोध से पता चलता है कि शर्करा पेय का सेवन दिल की सेहत, मधुमेह, वजन बढ़ने और मोटापे के साथ-साथ कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, 2010 में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि चीनी की खपत के कारण हर साल लगभग 178,000 मौतें मधुमेह और हृदय रोग के कारण होती हैं।
हालांकि, कैंसर के जोखिम और शर्करा पेय के बीच संबंध पर अभी तक बहुत अधिक शोध नहीं हुआ है। लेकिन हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि मीठे पेय का सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, जिसमें स्तन, अग्न्याशय, पित्ताशय की थैली और एंडोमेट्रियल कैंसर शामिल हैं।
फलों के रस का कैंसर से संबंध
एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 100 प्रतिशत फलों के रस का सेवन भी कैंसर के जोखिम से जुड़ा हुआ है। ये निष्कर्ष बताते हैं कि पश्चिमी देशों में आमतौर पर सेवन किए जाने वाले शर्करा युक्त पेय कैंसर की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक हो सकते हैं।
शर्करा युक्त पेय कैंसर के खतरे को कैसे बढ़ाते हैं? शोध से पता चलता है कि इन पेयों का सेवन मोटापे के बढ़ते जोखिम से संबंधित है, जो कई प्रकार के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। अधिक वजन होना मुंह, स्वरयंत्र, ओसोफैगल, पेट, अग्न्याशय, पित्ताशय की थैली, यकृत, बृहदान्त्र, स्तन, गर्भाशय, एंडोमेट्रियल, प्रोस्टेट और गुर्दे के कैंसर के लिए एक मजबूत प्रेरक तत्व है।