शवासन: तनाव कम करने और मानसिक शांति के लिए एक सरल योगासन

शवासन का महत्व
नई दिल्ली: योग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारने का एक प्रभावी उपाय है। नियमित योगाभ्यास से न केवल बीमारियों से बचाव होता है, बल्कि यह तनाव और थकान को भी दूर करता है। शवासन, एक ऐसा आसन है, जो शरीर और मन को शांति प्रदान करता है। यह एक सरल योगासन है, जिसे आमतौर पर योग सत्र के अंत में किया जाता है, और यह शरीर को रिलैक्स और रिचार्ज करने में मदद करता है।
शवासन की प्रक्रिया
शवासन, जिसे 'कॉर्प्स पोज' भी कहा जाता है, एक विश्राम मुद्रा है। संस्कृत में 'शव' का अर्थ मृत शरीर और 'आसन' का अर्थ मुद्रा होता है। इस आसन में व्यक्ति स्थिर अवस्था में लेटकर अपने शरीर और मन को पूर्ण विश्राम देता है। यह योग का सबसे सरल लेकिन प्रभावी आसन माना जाता है, जो तनाव, चिंता और थकान को कम करता है।
कैसे करें शवासन का अभ्यास
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, शवासन का अभ्यास करने के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। योगा मैट बिछाकर पीठ के बल लेटें। दोनों हाथों को शरीर से थोड़ा दूर रखें, हथेलियां ऊपर की ओर हों। पैरों को थोड़ा फैलाएं, आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। हर सांस के साथ अपने शरीर को और अधिक रिलैक्स महसूस करें। इस दौरान ध्यान केंद्रित करें और बाहरी विचारों से ध्यान हटाएं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि 5-10 मिनट तक इस स्थिति में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें।
शवासन के लाभ
शवासन के नियमित अभ्यास से कई लाभ होते हैं। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, नींद की गुणवत्ता को सुधारता है और अनिद्रा की समस्या को दूर करता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। शवासन मस्तिष्क को शांत कर एकाग्रता बढ़ाता है। इसके नियमित अभ्यास से मांसपेशियों में तनाव कम होता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
सावधानियाँ
शवासन का नियमित अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है। हालांकि, विशेषज्ञ इसके अभ्यास में कुछ सावधानियाँ बरतने की सलाह देते हैं। शवासन के दौरान नींद में न जाएं, क्योंकि इसका उद्देश्य सचेतन विश्राम है। गर्भवती महिलाएं या कमर दर्द से पीड़ित लोग इसे करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।