Newzfatafatlogo

शाहजहांपुर में मक्का की खरीद में किसानों को निराशा

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में मक्का की खरीद में किसानों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सालों की तुलना में इस बार मक्के का क्षेत्रफल बढ़ा है, लेकिन सरकारी खरीद केंद्र न होने के कारण उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। मौसम की मार और कंपनियों की खरीद में रुचि की कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। जानें इस मुद्दे के पीछे के कारण और किसानों की आर्थिक स्थिति के बारे में।
 | 
शाहजहांपुर में मक्का की खरीद में किसानों को निराशा

उत्तर प्रदेश में मक्का खरीद की स्थिति


उत्तर प्रदेश समाचार: उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में मक्का खरीद के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन सहजपुर के किसान निराश हैं। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार शाहजहांपुर के पुवायां क्षेत्र में मक्के की खेती का क्षेत्रफल काफी बढ़ा है। हालांकि, जिले में कोई सरकारी खरीद केंद्र नहीं होने के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी निराशा बढ़ रही है।


फसल पर मौसम का प्रभाव

फसल पर मौसम की मार

पिछले वर्ष शाहजहांपुर के पुवायां क्षेत्र में मक्के की फसल से किसानों को अच्छा लाभ हुआ था, जिसके चलते उन्होंने मक्के की खेती का क्षेत्रफल बढ़ा दिया। लेकिन इस बार बड़ी कंपनियों ने खरीद में रुचि नहीं दिखाई क्योंकि फसल मौसम की मार से प्रभावित हुई है। शाहजहांपुर को सरकारी खरीद में शामिल नहीं किया गया, जिससे मक्के की कीमतें बहुत कम हो गई हैं। जिन जिलों में सरकारी खरीद होनी है, वहां मक्का की नमी 12 प्रतिशत होनी चाहिए, जबकि शाहजहांपुर में कई किसानों के मक्के में नमी 50% तक है। 15 प्रतिशत से कम नमी वाले मक्के की कीमतें भी प्रति क्विंटल दो हजार रुपये के आसपास बिक रही हैं।


सरकारी खरीद की स्थिति

सरकारी मक्का खरीद की लागत

डिप्टी आरएमओ राकेश मोहन पांडे ने बताया कि शाहजहांपुर में मक्का की कम रकबा के कारण इसे सरकारी खरीद के लिए चयनित नहीं किया गया। 22 जिलों में मक्का की खरीद 2225 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर की जाएगी, लेकिन शाहजहांपुर इसमें शामिल नहीं है। आढ़तों पर मक्का की कीमतें केवल 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जबकि पिछले वर्ष यह 1600 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल थी। कम कीमतों से किसान परेशान हैं।


मक्का की खेती का विस्तार

लगभग 13332 एकड़ में मक्का बोया गया

प्रशासन ने पुवायां तहसील में भू-गर्भ जलस्तर को कम करने के लिए साठा धान पर प्रतिबंध लगाया था। आलू के खेत खाली होने पर किसानों ने मक्का की खेती शुरू की। 2023 में कई किसानों ने मक्का बोया, हालांकि इससे कोई खास लाभ नहीं हुआ। 2024 में मक्का का क्षेत्रफल 4925 एकड़ बढ़ा। कृषि विभाग के अनुसार, इस बार लगभग 13332 एकड़ में मक्का बोया गया है। धान की मुख्य फसल की देरी से पकने के कारण किसानों ने मक्का की कटाई शुरू कर दी है। बड़ी कंपनियों ने नमी और खराब गुणवत्ता के कारण अन्य जिलों को प्राथमिकता दी है। मक्का केवल कुछ शराब और एथेनॉल कंपनियों द्वारा खरीदा जा रहा है।


मौसम की चुनौतियाँ

मौसम की मार, फसल की नमी और कंपनियों की खरीद से दूरी

मक्का एथेनॉल बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे इसकी मांग बढ़ती है। अच्छी कीमतें मिलने पर मक्का की बिक्री में वृद्धि होती है। किसानों का कहना है कि मक्का का उत्पादन अच्छा है, लेकिन मौसम अनुकूल होना चाहिए। इस बार पुरवा हवा और बारिश ने फसल को प्रभावित किया है।


आर्थिक स्थिति

पिछले वर्ष की तुलना में 20 हजार रुपये प्रति एकड़ की कमी

पिछले वर्ष प्रति एकड़ 60-65 क्विंटल मक्का निकला था, जिससे किसानों को प्रति एकड़ 90 हजार से एक लाख रुपये का लाभ हुआ। वर्तमान में प्रति एकड़ मक्का का उत्पादन 60 से 65 क्विंटल है, लेकिन कीमतें 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल रहने से औसत मूल्य प्रति एकड़ केवल 70 हजार रुपये मिल रहा है।