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शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: मुंबई और कोलकाता में यौन अपराधों की घटनाएं

हाल ही में मुंबई और कोलकाता में छात्र-छात्राओं के साथ यौन अपराधों की घटनाओं ने शिक्षा व्यवस्था को गंभीर सवालों के घेरे में ला दिया है। मुंबई में एक महिला शिक्षिका पर नाबालिग छात्र के साथ शारीरिक शोषण का आरोप है, जबकि कोलकाता में एक लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना ने सुरक्षा पर चिंता बढ़ा दी है। जानें इन घटनाओं के पीछे की सच्चाई और समाज की नैतिकता पर इसका क्या असर पड़ रहा है।
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शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: मुंबई और कोलकाता में यौन अपराधों की घटनाएं

यौन अपराधों से दागी शिक्षा व्यवस्था

हाल ही में मुंबई और कोलकाता से आई छात्र-छात्राओं के साथ यौन अपराधों की घटनाओं ने देश की शिक्षा व्यवस्था को सवालों के घेरे में ला दिया है। मुंबई के एक प्रतिष्ठित स्कूल की महिला शिक्षक को एक नाबालिग छात्र के साथ एक साल तक शारीरिक शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।


कोलकाता में छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार

कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ गार्ड रूम में सामूहिक बलात्कार की घटना ने सुरक्षा और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि अब स्कूल और कॉलेज भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं।


मुंबई में महिला शिक्षिका का शिकार

एक प्रमुख स्कूल की शिक्षिका पर आरोप है कि उसने 5-स्टार होटलों समेत कई स्थानों पर छात्र का शारीरिक शोषण किया। इसके साथ ही, छात्र को अवसादरोधी दवाएं देने का भी आरोप है। यह मामला तब उजागर हुआ जब छात्र ने परीक्षा के बाद अपने माता-पिता को सारी बातें बताई। दादर पुलिस ने महिला को POCSO और किशोर न्याय अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है।


कोलकाता कॉलेज में गैंगरेप का मामला

कोलकाता के लॉ कॉलेज में एक प्रथम वर्ष की छात्रा के साथ गार्ड रूम में गैंगरेप की घटना ने सभी को चौंका दिया है। मुख्य आरोपी, पूर्व छात्र नेता मनोजीत मिश्रा, पर पहले भी यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के कई आरोप लगे हैं। पीड़िता का कहना है कि कॉलेज ट्रिप के दौरान भी उसे धमकाया गया और मारा-पीटा गया।


15 छात्राएं हो चुकी हैं शिकार

छात्रा ने बताया कि मिश्रा की विकृतियों का शिकार अब तक लगभग 15 छात्राएं हो चुकी हैं, लेकिन डर और दबाव के कारण कोई भी खुलकर सामने नहीं आ सका।


क्या कहती है ये घटनाएं?

यदि देश के प्रमुख संस्थानों में छात्र-छात्राएं असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तो यह केवल कानून का नहीं, बल्कि समाज के नैतिक पतन का भी संकेत है। अब समय है कि कड़े कदम उठाए जाएं, ताकि स्कूल और कॉलेज फिर से सुरक्षित बन सकें।