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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर तुलसी का महत्व: पूजा में इसकी अनिवार्यता

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भक्ति और प्रेम का पर्व है, जिसमें तुलसी का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी का होना अनिवार्य है। जानें क्यों तुलसी को पूजा में शामिल करना आवश्यक है और इसके स्वास्थ्य लाभ क्या हैं। इस लेख में तुलसी के महत्व और उसके धार्मिक पहलुओं पर चर्चा की गई है, जो आपके ज्ञान को बढ़ाएगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर तुलसी का महत्व: पूजा में इसकी अनिवार्यता

जन्माष्टमी का पर्व और तुलसी का महत्व

नई दिल्ली - श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का एक महत्वपूर्ण पर्व है। भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर, हर गली, घर और मंदिर में 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' की गूंज सुनाई देती है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, भजन गाते हैं और रात 12 बजे भगवान बाल गोपाल का जन्म उत्सव मनाते हैं।


कान्हा के लिए झूला सजाया जाता है, आरती की जाती है, और उन्हें पंचामृत से स्नान कराया जाता है। इसके बाद, प्रेमपूर्वक विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। लेकिन, इतने सारे पकवानों के बावजूद, यदि एक चीज की कमी हो, तो भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। वह चीज है 'तुलसी'। पूजा में माखन और मिश्री की तरह ही तुलसी भी आवश्यक है। हिंदू धर्म में तुलसी को अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है, और चूंकि श्रीकृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं, इसलिए उन्हें भी तुलसी प्रिय है।


विष्णु पुराण और भागवत पुराण में भगवान के प्रिय भोजन का उल्लेख है। श्रीमद्भागवत पुराण में कहा गया है कि भगवान विष्णु को तुलसी पसंद है। मान्यता है कि यदि हजारों मिठाइयाँ बनाई जाएं और उनमें तुलसी न हो, तो भगवान उन्हें स्वीकार नहीं करते। इसलिए जन्माष्टमी जैसे विशेष पर्व पर तुलसी का होना अनिवार्य है। जब आप अपने घर में लड्डू गोपाल को स्नान कराते हैं, उनका श्रृंगार करते हैं और भोग लगाते हैं, तो उस भोग में तुलसी का एक पत्ता अवश्य रखें। चाहे वह खीर हो, माखन हो या कोई मीठा पकवान, उसमें तुलसी डालना आवश्यक है। यह भोग को पूर्ण बनाता है।


हालांकि, जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए मान्यता है कि एक दिन पहले, यानी सप्तमी को, तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेने चाहिए और उन्हें गंगाजल से धोकर साफ कपड़े में सुरक्षित रखना चाहिए। पूजा के समय उन्हीं पत्तों का उपयोग करना चाहिए।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस घर में तुलसी होती है, वहां नकारात्मक ऊर्जा नहीं टिकती और सुख-समृद्धि बनी रहती है। जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पास एक देसी घी का दीपक जलाना और तुलसी माता की परिक्रमा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन यदि कोई श्रद्धा से तुलसी माता की पूजा करता है, तो उसके घर में हमेशा सुख और शांति बनी रहती है। तुलसी का महत्व केवल पूजा में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत बड़ा है। आयुर्वेद में तुलसी को अमृत के समान माना गया है। यह सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार जैसी कई बीमारियों से बचाने में मदद करती है। तुलसी का काढ़ा पीने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इसलिए इसे 'औषधियों की रानी' भी कहा जाता है।