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संजय सिंह ने यूपी सरकार के स्कूल विलय फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के 105 प्राथमिक स्कूलों के विलय के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने इसे असंवैधानिक और बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया है। सरकार का तर्क है कि इन स्कूलों में कम विद्यार्थी हैं, लेकिन इस फैसले ने शिक्षकों और अभिभावकों के बीच विरोध उत्पन्न किया है। जानें इस मामले में और क्या कहा गया है।
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संजय सिंह ने यूपी सरकार के स्कूल विलय फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, जो उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी हैं, ने राज्य सरकार के उस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 105 सरकारी प्राथमिक स्कूलों को कम नामांकन के कारण बंद कर उन्हें अन्य स्कूलों के साथ विलय करने का आदेश दिया गया है। इस नीति को 'अनुपयोगी स्कूलों के समेकन' (Policy to Consolidate Unutilised Schools) के तहत लागू किया गया है, जिसे संजय सिंह ने मनमाना, असंवैधानिक और बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया है। यह मामला शिक्षा के मौलिक अधिकार और संवैधानिक प्रावधानों को लेकर फिर से चर्चा में आया है.


उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 जून 2025 को एक आदेश जारी किया, जिसमें कम नामांकन वाले 105 प्राथमिक स्कूलों को बंद करने और उन्हें नजदीकी स्कूलों में विलय करने की घोषणा की गई। इसके बाद 24 जून को उन स्कूलों की सूची जारी की गई, जिन्हें विलय के लिए चुना गया। सरकार का तर्क है कि इन स्कूलों में शून्य या बहुत कम विद्यार्थी थे, इसलिए संसाधनों और शिक्षकों के बेहतर उपयोग के लिए यह कदम उठाया गया। हालांकि, इस निर्णय ने शिक्षकों, अभिभावकों और विपक्षी दलों के बीच तीखा विरोध उत्पन्न किया है.


संजय सिंह ने अपनी याचिका में यह तर्क दिया है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21ए और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act), 2009 का उल्लंघन करता है। RTE नियमों के अनुसार, 300 से अधिक आबादी वाले प्रत्येक क्षेत्र में एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक स्कूल उपलब्ध होना चाहिए। संजय सिंह का कहना है कि इन स्कूलों को बंद करने से विशेष रूप से वंचित और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बच्चों को लंबी दूरी तय कर स्कूल जाना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित होगी.


संजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने इस नीति को लागू करने से पहले न तो कोई सार्वजनिक परामर्श किया और न ही कोई स्पष्ट मापदंड निर्धारित किया। यह नीति न केवल शिक्षा की पहुंच को सीमित कर रही है, बल्कि ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बच्चों के भविष्य को भी खतरे में डाल रही है.