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सरकार ने यूपीआई लेनदेन पर नए नियमों की अफवाहों को किया खारिज

हाल ही में यूपीआई लेनदेन पर नए नियमों की अफवाहें उड़ी थीं, जिनका सरकार ने खंडन किया है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये दावे झूठे हैं और यूपीआई लेनदेन पर कोई नया नियम लागू नहीं किया जाएगा। जानें इस विषय में और क्या कहा गया है और यूपीआई के वर्तमान स्थिति के बारे में।
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यूपीआई लेनदेन पर नई अफवाहें

कुछ समय पहले ऐसी खबरें आई थीं कि सरकार यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) लेनदेन पर नए नियम लागू करने पर विचार कर रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इन दावों को पूरी तरह से गलत और निराधार बताया है।


कुछ मीडिया चैनलों ने यह जानकारी दी थी कि 3,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) को फिर से लागू किया जा सकता है। यह कहा गया था कि इसका उद्देश्य बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं को उनके बुनियादी ढांचे और परिचालन लागत को प्रबंधित करने में सहायता करना है। एमडीआर मर्चेंट टर्नओवर के बजाय लेनदेन की कुल राशि पर आधारित होगा। यह नियम छोटे यूपीआई भुगतानों पर लागू नहीं होगा, लेकिन बड़े लेनदेन पर मर्चेंट फीस लगाई जा सकती है।


जनवरी 2020 से लागू जीरो-एमडीआर नीति में बदलाव की बात भी की गई थी। सरकार की प्रतिक्रिया से पहले, कुछ मीडिया आउटलेट्स ने बताया था कि बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं ने बड़े डिजिटल लेनदेन की बढ़ती लागत के बारे में चिंता व्यक्त की है। खुदरा डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है, और जीरो एमडीआर ने इस क्षेत्र में निवेश को प्रभावित किया है। 2020 से, यूपीआई के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यापारी लेनदेन का मूल्य 60 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो इसके व्यापक उपयोग को दर्शाता है।


रिपोर्टों के अनुसार, पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने यूपीआई लेनदेन पर बड़े व्यापारियों के लिए 0.3% एमडीआर का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में, क्रेडिट और डेबिट कार्ड भुगतान पर एमडीआर 0.9% से 2% है, जिसमें RuPay शामिल नहीं है। RuPay क्रेडिट कार्ड को अभी एमडीआर से बाहर रखा जाएगा। एमडीआर वह शुल्क है जो डिजिटल भुगतान स्वीकार करने के लिए मर्चेंट बैंकों या भुगतान सेवा प्रदाताओं को दिया जाता है। वर्तमान में, यूपीआई और RuPay डेबिट कार्ड के माध्यम से किए गए लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं है। यह 'जीरो-एमडीआर' नीति जनवरी 2020 से लागू की गई है।


सरकार ने कहा है कि इस मामले में एक या दो महीने में निर्णय लिया जा सकता है और वह बैंकों, फिनटेक कंपनियों और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जैसे हितधारकों के साथ चर्चा करेगी। हालांकि, सरकार ने इन सभी दावों को निराधार बताया है।