सर्पदंश के त्वरित उपचार के लिए कार्यशाला का आयोजन

सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम की कार्यशाला
लखनऊ। राहत आयुक्त कार्यालय ने मंगलवार को योजना भवन के वैचारिकी सभागार में सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का संचालन राहत आयुक्त भानु चन्द्र गोस्वामी ने किया। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के स्नेक बाइट प्रोग्राम के नोडल ऑफिसर ने 18 जनपदों के प्रत्येक तहसील से आए चिकित्सकों को सर्पदंश के त्वरित उपचार के लिए मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण प्रदान किया।
इस अवसर पर भानु चन्द्र गोस्वामी ने कहा कि सर्पदंश पीड़ितों के त्वरित और उचित उपचार के लिए यह कार्यशाला आवश्यक है। उन्होंने चिकित्सकों से अपील की कि वे सांप काटने की स्थिति में पीड़ित का इलाज पूरी संवेदनशीलता से करें और उन्हें अन्य अस्पतालों में न भेजें। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। राहत आयुक्त ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नेक वेनम की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी, जिसकी जानकारी जल्द ही राहत आयुक्त कार्यालय के स्नेक बाइट मिटिगेशन पोर्टल पर उपलब्ध होगी।
भानु चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि राहत आयुक्त कार्यालय के हेल्पलाइन नंबर 1070 पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों की मैपिंग की जा रही है, ताकि एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता की जानकारी मिल सके। इसके अलावा, चिकित्सकों के साथ-साथ फील्ड में कार्यरत नॉन टेक्निकल स्टाफ को भी प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि सर्पदंश पीड़ितों को त्वरित चिकित्सा मिल सके। मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित चिकित्सक अपने जनपदों के अस्पतालों के इमरजेंसी ऑफिसरों को भी सर्पदंश के आपातकालीन उपचार के लिए प्रशिक्षित करेंगे।
कार्यशाला में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के स्नेक बाइट प्रोग्राम के नोडल ऑफिसर डॉ. पंकज सक्सेना ने विभिन्न जहरीले सांपों की जानकारी दी। उन्होंने सर्पदंश के लक्षण, बचाव और उपचार के उचित प्रबंधन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 38 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से 18 प्रजातियाँ विषैले हैं। उन्होंने कहा कि सांप काटने के बाद घबराने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए पीड़ित को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर एंटी स्नेक वेनम लगवाना चाहिए।
उन्होंने सांपों के बारे में भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। सांप न तो दूध पीते हैं और न ही नागमणि होती है। उन्होंने बताया कि सांप की काटने की घटनाएँ मौसम के अनुसार बढ़ती-घटती हैं, विशेषकर जून से सितंबर के बीच। इस दौरान सतर्क रहना आवश्यक है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शैफाली गौतम और डॉ. नीलकमल मिश्रा ने बताया कि सांप काटने पर घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि घबराने से जहर तेजी से फैलता है। उन्होंने चिकित्सकों को सीपीआर (आपातकालीन जीवन रक्षक प्रक्रिया) के संबंध में प्रशिक्षित किया और एम्बूबैग के उपयोग की जानकारी दी।
इस कार्यशाला में अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, बलिया, बस्ती, चंदौली, देवरिया, गोरखपुर, जौनपुर, कुशीनगर, मऊ, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायबरेली, संतकबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर और सुल्तानपुर से लगभग 100 चिकित्सकों ने भाग लिया। कार्यशाला का संचालन प्रबंधक कार्मिक शांतनु द्विवेदी ने किया।