साइलेंट हार्ट अटैक: युवा पीढ़ी के लिए बढ़ता खतरा

साइलेंट हार्ट अटैक का बढ़ता प्रकोप
अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के चलते हृदय संबंधी बीमारियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसमें हार्ट अटैक प्रमुख है। यह समस्या अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। समाचार पत्रों और चैनलों पर इस तरह की घटनाएँ अक्सर देखने को मिलती हैं। चिंता का विषय यह है कि युवा वर्ग साइलेंट हार्ट अटैक का सबसे अधिक शिकार बन रहा है।
साइलेंट हार्ट अटैक की गंभीरता
साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को यह भी नहीं पता चलता कि उसे हार्ट अटैक आया है, और चिकित्सा सहायता मिलने से पहले ही उसकी मृत्यु हो जाती है। इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। अब सवाल यह है कि साइलेंट हार्ट अटैक, सामान्य हार्ट अटैक से अधिक खतरनाक क्यों है? आइए जानते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक और सामान्य हार्ट अटैक में अंतर
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, साइलेंट हार्ट अटैक वह स्थिति है जिसमें हार्ट अटैक बिना किसी स्पष्ट लक्षण के होता है। जब तक इसे पहचाना जाता है, तब तक मरीज की स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। इसमें सीने में दर्द या सांस फूलने जैसे सामान्य लक्षण नहीं होते।
साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण
साइलेंट हार्ट अटैक से प्रभावित व्यक्ति को सीने में जलन या मांसपेशियों में खिंचाव जैसा अनुभव हो सकता है। यह स्थिति रक्त प्रवाह में रुकावट के कारण उत्पन्न होती है।
साइलेंट हार्ट अटैक के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- रोज़मर्रा की थकान या तनाव
- नींद की कमी
- हल्का या कभी-कभी तेज़ सीने में दर्द
- हल्का काम करने पर सांस फूलना
- चक्कर आना या हल्का सिरदर्द
- पेट में समस्याएँ जैसे एसिडिटी या गैस
किसे है अधिक खतरा?
कुछ विशेष समूहों को साइलेंट हार्ट अटैक का अधिक खतरा होता है, जैसे:
- मधुमेह से पीड़ित लोग
- अधिक वजन वाले लोग
- परिवार में हृदय रोग का इतिहास
- उच्च रक्तचाप
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- व्यायाम न करने वाले लोग
- पहले दिल का दौरा पड़ चुका हो
- तंबाकू या सिगरेट का सेवन करने वाले लोग