साध्वी प्रज्ञा का बड़ा खुलासा: मालेगांव ब्लास्ट केस में टॉर्चर का आरोप

साध्वी प्रज्ञा का बयान
Pragya Singh Thakur: हाल ही में मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी आरोपों से मुक्त हुई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक गंभीर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और कई प्रमुख नेताओं के नाम लेने के लिए उन पर दबाव डाला गया। साध्वी प्रज्ञा के अनुसार, उनके साथ अत्याचार किया गया ताकि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा सके। इस मामले में मुंबई की विशेष NIA अदालत ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट के संदर्भ में प्रज्ञा सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था। इस घटना में छह लोगों की जान गई थी और सौ से अधिक लोग घायल हुए थे। अदालत ने मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजे का आदेश भी दिया। साध्वी प्रज्ञा ने अपनी गिरफ्तारी से लेकर बरी होने तक के अनुभव साझा किए हैं, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें झूठ बोलने के लिए मजबूर किया गया।
साध्वी प्रज्ञा का दावा
साध्वी प्रज्ञा ने शनिवार को कहा, 'मुझसे कई लोगों के नाम लेने के लिए कहा गया, लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया। मुझे प्रताड़ित किया गया, मेरे फेफड़े खराब हो गए और मुझे अवैध रूप से एक अस्पताल में रखा गया।' उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत का नाम लेने के लिए भी कहा गया। साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया कि उन्हें यह धमकी दी गई थी कि यदि उन्होंने उन लोगों के नाम नहीं लिए, तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा। उनका कहना था, 'उन्हें मुझसे कहा गया कि अगर तुम इन लोगों का नाम नहीं लोगी तो हम तुम्हें मार देंगे।'
मालेगांव ब्लास्ट केस
मुंबई की विशेष NIA अदालत ने 31 जुलाई को 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इनमें पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि ब्लास्ट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर मिटा दिया गया था और यह साबित नहीं हो पाया कि साध्वी प्रज्ञा उस वाहन की मालिक थीं। अदालत ने यह भी कहा कि साध्वी प्रज्ञा ने घटना से दो साल पहले संन्यास ले लिया था और भौतिक सुखों का त्याग किया था। अदालत ने इस मामले में कोई विश्वसनीय सबूत नहीं पाए जिससे यह साबित हो सके कि साध्वी प्रज्ञा का मालेगांव ब्लास्ट से कोई संबंध था।
मुआवजा
अदालत ने मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए छह लोगों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। यह निर्णय अदालत द्वारा आरोपियों को बरी करने के बाद आया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा और अन्य आरोपियों को निर्दोष ठहराया गया।