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सावन 2025 के लिए बेहतरीन भोजपुरी गीत: कजरी, झूला और भक्ति

सावन का महीना आते ही भोजपुरी गीतों की मधुर धुनें गूंजने लगती हैं। कजरी, झूला और भक्ति गीतों के माध्यम से प्रेम, विरह और प्रकृति की खूबसूरती का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस लेख में जानें कि कैसे ये गीत सावन की खुशियों को और भी बढ़ाते हैं और भोजपुरी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बनते हैं।
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सावन 2025 के लिए बेहतरीन भोजपुरी गीत: कजरी, झूला और भक्ति

सावन के भोजपुरी गीत: लोकगीतों की मधुर धुनें

जैसे ही सावन का महीना आता है, भोजपुरी क्षेत्र की गलियों में मिट्टी की खुशबू के साथ लोकगीतों की मधुर धुनें गूंजने लगती हैं। रिमझिम बारिश, हरियाली और गांव की चौपालों पर गूंजते ये गीत केवल संगीत नहीं, बल्कि भोजपुरी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। कजरी की मिठास, झूला गीतों का उत्साह, विरह की टीस और भोले बाबा की भक्ति, ये सभी सावन के भोजपुरी गीतों में समाहित होते हैं। आइए, इस सावन की मस्ती में डूबकर इन गीतों की विशेषताओं को जानें।


कजरी गीत: सावन की विशेषता

सावन के भोजपुरी गीतों में कजरी का जादू अद्वितीय होता है। ये गीत बारिश और प्रेम की मिठास को बयां करते हैं। जब गांव की युवतियां झूलों पर बैठकर कजरी गाती हैं, तो हर शब्द में सावन की रंगत झलकती है। इन गीतों में प्रेम, विरह और प्रकृति की खूबसूरती का ऐसा संगम होता है कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। कजरी गीत भोजपुरी संस्कृति का अनमोल गहना हैं, जो हर सावन में नई चमक बिखेरते हैं।


झूला गीत: सामूहिकता का प्रतीक

सावन के आगमन पर गांवों में अमराइयों में झूले सज जाते हैं, और महिलाएं समूह में झूलते हुए सावन के भोजपुरी गीत गाती हैं। झूला गीतों में बारिश की फुहारों, हरियाली और सजने-संवरने की बातें होती हैं। ये गीत न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि सामूहिकता और खुशी का प्रतीक भी हैं। इनकी धुन सुनकर पैर अपने आप थिरकने लगते हैं। सावन की मस्ती का अनुभव करने के लिए झूला गीतों से बेहतर कुछ नहीं है!


विरह और भक्ति गीत: सावन की गहराई

सावन प्रेम का महीना है, लेकिन जब साजन दूर हो, तो सावन के भोजपुरी गीतों में विरह की गहराई उभरती है। विरह गीतों में प्रेमिका की पीड़ा और सावन की बारिश का दर्द एक साथ गूंजता है। इसके साथ ही, सावन शिव भक्ति का भी महीना है। भोले बाबा के भक्ति गीतों में श्रद्धा और सादगी का ऐसा संगम होता है कि सुनने वाला भक्ति में डूब जाता है। ये गीत सावन को और भी पवित्र बनाते हैं।


हरियाली गीत: प्रकृति का उत्सव

सावन में हरियाली तीज का खास महत्व है, और इस अवसर पर गाए जाने वाले हरियाली गीत सावन के भोजपुरी गीतों का अभिन्न हिस्सा हैं। इन गीतों में पेड़-पौधों, फसलों और गांव की जिंदगी का उल्लास झलकता है। ये गीत प्रकृति के साथ भोजपुरी लोकजीवन के जुड़ाव को दर्शाते हैं। हरियाली गीत सुनकर ऐसा लगता है मानो धरती अपने सावन के किस्से सुना रही हो। ये गीत सावन की खुशी को दोगुना कर देते हैं।