सितंबर 2025 में तापमान का नया रिकॉर्ड: वैश्विक गर्मी में वृद्धि

सितंबर 2025 का तापमान रिकॉर्ड
सितंबर 2025 ने एक बार फिर से वैश्विक तापमान के रिकॉर्ड में एक नया अध्याय जोड़ा है। यूरोपीय एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल का सितंबर धरती के इतिहास में तीसरा सबसे गर्म महीना रहा। औद्योगिक क्रांति (1850-1900) के पूर्व के औसत तापमान की तुलना में, इस वर्ष धरती का औसत तापमान 16.11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि 1.47 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
पिछले 12 महीनों का तापमान
1991-2020 के औसत तापमान से तुलना करने पर भी यह आंकड़ा 0.66 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। रिपोर्ट में पिछले 12 महीनों (अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025) का औसत भी औद्योगिक युग के पूर्व के औसत से 1.51 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया, जो लगातार बढ़ते वैश्विक तापमान का स्पष्ट संकेत है।
तीसरा सबसे गर्म अगस्त
विशेषज्ञों के अनुसार, धरती और समुद्र का लगातार गर्म होना ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का संकेत है। इस साल अगस्त भी तीसरे सबसे गर्म अगस्त के रूप में दर्ज हुआ था, जब तापमान औसत से 1.29 डिग्री सेल्सियस अधिक था। रिपोर्ट में यूरोप का औसत तापमान 15.95 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.23 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
समुद्र और ध्रुवीय बर्फ पर असर
सितंबर 2025 में समुद्र की सतह का औसत तापमान (SST) 20.72 डिग्री सेल्सियस रहा, जो अब तक का तीसरा सबसे उच्च स्तर है। उत्तरी प्रशांत महासागर के अधिकांश हिस्से अत्यधिक गर्म रहे, जबकि मध्य और पूर्वी प्रशांत में तापमान सामान्य या थोड़ा कम रहा। यूरोप के आसपास के समुद्र, जैसे नॉर्वे सागर, कारा सागर और भूमध्य सागर, सामान्य से अधिक गर्म रहे।
ध्रुवीय क्षेत्रों की स्थिति
ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थिति भी चिंताजनक रही। आर्कटिक में समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से 12% कम रहा और यह अब तक का 14वां सबसे कम स्तर दर्ज हुआ। अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ औसत से करीब 5% कम रही, जो अब तक का चौथा सबसे कम स्तर था।
असमान वर्षा पैटर्न
रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ कि सितंबर में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में वर्षा असमान रही। उत्तर-पश्चिम, मध्य यूरोप, फिनलैंड, काला सागर के पूर्वी तट, इटली के कुछ हिस्सों, क्रोएशिया और पूर्वी स्पेन में सामान्य से अधिक बारिश हुई। कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी। वहीं, कनाडा, उत्तर अमेरिका, रूस के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों, भारत और ब्राजील के कुछ हिस्सों में वर्षा सामान्य से कम रही।