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सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों पर महत्वपूर्ण निर्णय: दिल्ली-NCR में क्या होगा बदलाव?

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जो दिल्ली-NCR में कुत्तों के शेल्टर्स से संबंधित है। इस निर्णय का उद्देश्य रेबीज के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करना है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और यह कैसे इंसान और पशु प्रेमियों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती पेश करता है। क्या यह निर्णय दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान करेगा? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों पर महत्वपूर्ण निर्णय: दिल्ली-NCR में क्या होगा बदलाव?

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: आवारा कुत्तों का मामला अब उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया है। आज, 22 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट एक महत्वपूर्ण याचिका पर अपना निर्णय सुनाएगा, जिसमें 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी,


जिसमें दिल्ली-NCR की सड़कों से आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से 'डॉग शेल्टर्स' में भेजने का निर्देश दिया गया था। यह मामला दिल्ली में रेबीज और कुत्तों के काटने की घटनाओं के बढ़ने के बाद और गंभीर हो गया है। आइए, इस मामले की पूरी जानकारी लेते हैं।


कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन वी अंजारिया शामिल थे, ने 14 अगस्त को इस मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।


इससे पहले, 11 अगस्त को कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे। इनमें दिल्ली-NCR के अधिकारियों को जल्द से जल्द सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर 'डॉग शेल्टर्स' में भेजने का आदेश शामिल था। यह कदम बच्चों में रेबीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए उठाया गया था।


क्या है पूरा मामला?

28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने और रेबीज फैलने की घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया था। जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने 11 अगस्त को आदेश दिया कि दिल्ली-NCR के अधिकारियों को सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय स्थलों में भेजना होगा।


शुरुआत में 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह समस्या स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण उत्पन्न हुई है। नियम तो बनते हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता।


इंसान और पशु प्रेमियों के बीच संतुलन

कोर्ट ने कहा कि एक ओर इंसान रेबीज और कुत्तों के हमलों से प्रभावित हैं, वहीं दूसरी ओर पशु प्रेमी चाहते हैं कि कुत्तों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए।


यह मामला दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय इस मुद्दे पर नया मोड़ ला सकता है। क्या दिल्ली-NCR की सड़कों से आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान निकलेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।