सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक मामलों में कानून की खामियों पर उठाया सवाल
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एसिड अटैक से संबंधित मामलों में कानून की कमियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। अदालत ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था पीड़ितों को न्याय दिलाने में असफल है। यह टिप्पणी उस समय आई जब एक एसिड अटैक सर्वाइवर ने कोर्ट में अपनी आपबीती सुनाई, जिसमें बताया गया कि कई मामलों में पीड़ितों को एसिड पिलाया जाता है, लेकिन वर्तमान कानून में ऐसे मामलों के लिए मुआवज़े या विशेष प्रावधान का कोई उल्लेख नहीं है।
कानूनी खामियों का खुलासा
पीड़िता की अपील
पीड़िता ने जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से अदालत से अनुरोध किया कि एसिड पिलाए जाने वाले मामलों को भी एसिड अटैक कानून के दायरे में लाया जाए, क्योंकि मौजूदा कानून केवल ‘एसिड फेंके जाने’ वाले मामलों को मान्यता देता है। उन्होंने बताया कि 2009 में उनके साथ यह अमानवीय हमला हुआ था, लेकिन आज तक उनके मामले का ट्रायल पूरा नहीं हुआ। इस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “यह तो सिस्टम का मज़ाक है! अगर राष्ट्रीय राजधानी में ही ऐसे मामलों का निपटारा नहीं हो पा रहा, तो देशभर में क्या स्थिति होगी?”
सरकार को निर्देश
याचिका में यह भी कहा गया कि एसिड पिलाए जाने वाले पीड़ितों को एसिड अटैक मुआवज़ा कानून के तहत शामिल किया जाए ताकि उन्हें इलाज, पुनर्वास और मुआवज़े का लाभ मिल सके। एसिड पीने से शरीर के अंदरूनी अंगों को गंभीर नुकसान होता है, जिससे पीड़ित को जीवनभर दर्द और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन मौजूदा कानून में इस तरह के मामलों को मान्यता नहीं दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह कानून लाने पर विचार करे, जिसमें एसिड पिलाए जाने वाले पीड़ितों को भी मौजूदा एसिड अटैक मुआवज़ा कानून में शामिल किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे पीड़ितों को इलाज, पुनर्वास और मुआवज़े का अधिकार मिलना चाहिए। इसके साथ ही, देशभर में एसिड अटैक मामलों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
भारत में एसिड अटैक कानून
यह ध्यान देने योग्य है कि भारत में एसिड अटैक से संबंधित कानून मौजूद हैं, लेकिन ये केवल फेंके गए एसिड के मामलों तक सीमित हैं। एसिड पिलाए जाने वाले पीड़ितों को न तो उचित इलाज मिलता है और न ही मुआवज़ा।
