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सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर न्यास अध्यादेश 2025 पर अस्थायी रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बांके बिहारी मंदिर न्यास अध्यादेश 2025 के तहत गठित समिति के संचालन पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है। इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के धन का उपयोग कॉरिडोर विकास के लिए करने की अनुमति दी गई थी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर न्यास अध्यादेश 2025 पर अस्थायी रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

बुधवार को, सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर न्यास अध्यादेश 2025 के अंतर्गत गठित समिति के कार्यान्वयन पर अस्थायी रोक लगा दी। अदालत ने इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है।



इससे पहले, 15 मई 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के धन का उपयोग कॉरिडोर विकास के लिए करने की अनुमति दी थी, साथ ही मंदिर के आस-पास की 5 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने की भी अनुमति दी थी। यह शर्त रखी गई थी कि अधिग्रहित भूमि ठाकुर जी के नाम पर पंजीकृत होगी।


इसके बाद, 26 मई 2025 को, यूपी सरकार ने अध्यादेश 2025 जारी किया, जिसके तहत श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास का गठन किया गया। इस ट्रस्ट को मंदिर के प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा का कार्य सौंपा गया था। ट्रस्ट में 11 सदस्य मनोनीत किए जाने थे, जबकि 7 सदस्य अपने पद के कारण शामिल होते।