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सेतु बंध सर्वांगासन: कमर दर्द और थायरॉइड के लिए प्रभावी योगासन

सेतु बंध सर्वांगासन, जिसे 'ब्रिज पोज' भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण योगासन है जो कमर दर्द और थायरॉइड जैसी समस्याओं के उपचार में सहायक है। यह आसन रीढ़, हैमस्ट्रिंग और कंधों को मजबूत बनाता है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है। जानें इस आसन के अभ्यास की विधि और इसके लाभ।
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सेतु बंध सर्वांगासन: कमर दर्द और थायरॉइड के लिए प्रभावी योगासन

सेतु बंध सर्वांगासन का महत्व

मुंबई: प्राचीन भारतीय योग पद्धतियों में से एक, योग, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान प्रदान करता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण आसन है सेतु बंध सर्वांगासन, जिसे 'ब्रिज पोज' के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन कमर दर्द, थायरॉइड और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में सहायक है।


शारीरिक लाभ

यह आसन रीढ़, हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स और कंधों को मजबूत बनाता है। साथ ही, यह छाती और फेफड़ों को खोलकर सांस लेने की क्षमता को भी बढ़ाता है।


आयुष मंत्रालय के अनुसार लाभ

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, सेतु बंध सर्वांगासन के नियमित अभ्यास से कमर दर्द और पीठ के निचले हिस्से की जकड़न में कमी आती है। यह थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय करता है, जिससे हार्मोनल संतुलन में सुधार होता है। इसके अलावा, यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में भी मदद करता है। पाचन तंत्र को सुधारने और रक्त संचार को बढ़ाने में भी यह आसन प्रभावी है। महिलाओं में पीरियड्स से संबंधित समस्याओं को कम करने में भी यह सहायक है।


सेतु बंध सर्वांगासन करने की विधि

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल जमीन पर लेटें। अपने हाथों को शरीर के दोनों ओर रखें, हथेलियां नीचे की ओर हों। फिर, दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर कूल्हों के पास लाएं, ताकि पैर जमीन पर सपाट रहें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं, जिससे शरीर का आकार एक पुल जैसा हो जाए। इस दौरान कंधा और सिर जमीन पर रहना चाहिए।


अभ्यास के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

इस स्थिति में 10-15 सेकंड तक रुकें और सामान्य तरीके से सांस लेते रहें। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कूल्हों को वापस जमीन पर लाएं। इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं। नियमित अभ्यास से सेतु बंध सर्वांगासन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। हालांकि, गर्दन, पीठ या कंधों में चोट होने पर इसे नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन से बचना चाहिए। इसे हमेशा खाली पेट करें और अधिक जोर लगाने से बचें। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो पहले डॉक्टर या योग विशेषज्ञ से सलाह लें।