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सोशल मीडिया रील्स के दुष्प्रभाव: स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव

सोशल मीडिया रील्स देखने की आदत आजकल आम हो गई है, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह न केवल शारीरिक समस्याएं जैसे गर्दन और रीढ़ में दर्द पैदा कर सकती है, बल्कि नींद की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। जानें कि कैसे रील्स देखने से आंखों को नुकसान पहुंचता है और डॉक्टरों की सलाह क्या है।
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सोशल मीडिया रील्स के दुष्प्रभाव: स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव

सोशल मीडिया रील्स का बढ़ता चलन

नई दिल्ली: आजकल की डिजिटल जीवनशैली में सोशल मीडिया पर रील्स देखना एक सामान्य गतिविधि बन गई है। खासकर जब लोग बिस्तर पर लेटे-लेटे घंटों तक रील्स देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि वे आराम कर रहे हैं। लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, यह आदत धीरे-धीरे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि यह लत न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।


गर्दन और रीढ़ पर प्रभाव

जब लोग लेटकर या झुककर मोबाइल का उपयोग करते हैं, तो गर्दन और कंधे का एंगल गलत हो जाता है, जिससे Text Neck Syndrome जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन के अनुसार, झुककर मोबाइल देखने से गर्दन की हड्डियों पर लगभग 27 किलोग्राम का दबाव पड़ सकता है। यही कारण है कि कई लोग सुबह उठते ही गर्दन और कंधे में दर्द का अनुभव करते हैं।


नींद की गुणवत्ता पर असर

जानें क्या होता है नुकसान?

बिस्तर पर लेटकर रील्स देखने से नींद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को दबा देती है, जो नींद को नियंत्रित करता है। JAMA Network Open की 2023 की एक स्टडी के अनुसार, जो लोग सोने से पहले फोन का उपयोग करते हैं, उनकी नींद की गुणवत्ता खराब होती है और लंबे समय में इनसोम्निया की समस्या बढ़ सकती है।


आंखों पर प्रभाव

आंखों को कैसे पहुंचाता है नुकसान?

रील्स देखने का आंखों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। National Eye Institute (US) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नीली रोशनी आंखों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे आंखों में जलन, सूखापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अंधेरे में रील्स देखने वाले लोगों में यह समस्या और भी तेजी से बढ़ती है।


मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

मानसिक स्वास्थ्य पर कैसे पड़ता है इसका असर?

रील्स देखने का मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रील्स से मिलने वाला त्वरित डोपामाइन दिमाग को थोड़े समय के लिए खुश करता है, लेकिन बार-बार ऐसा होने से व्यक्ति को इसकी आदत पड़ जाती है। Centers for Disease Control and Prevention (2025) की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार स्क्रीन टाइम चिंता, डिप्रेशन और ध्यान की कमी जैसी समस्याओं को जन्म देता है।


डॉक्टरों की सलाह

क्या है डॉक्टरों की सलाह?

डॉक्टरों का सुझाव है कि मोबाइल का स्क्रीन टाइम दिन में एक घंटे से अधिक न हो। सोने से पहले कम से कम एक घंटे मोबाइल से दूरी बनाएं। लेटकर नहीं, बल्कि बैठकर मोबाइल का उपयोग करें। हर 20 मिनट में आंखों को आराम दें और योग या स्ट्रेचिंग जैसी शारीरिक गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।