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स्किन कैंसर: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

स्किन कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो अक्सर त्वचा पर छोटे दागों से शुरू होती है। भारत में इसका प्रतिशत अन्य कैंसरों की तुलना में कम है, लेकिन त्वचा में होने वाले बदलावों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, त्वचा पर असामान्य दागों और तिल के लक्षणों पर ध्यान देना आवश्यक है। समय पर जांच और उचित सावधानियों से इस बीमारी से बचा जा सकता है। जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।
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स्किन कैंसर: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

स्किन कैंसर के कारण

स्किन कैंसर के कारण: स्किन कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो अक्सर त्वचा पर दिखाई देने वाले छोटे दागों से शुरू होती है। त्वचा में होने वाले परिवर्तन जैसे दाग, रंग में असमानता, खुरदरापन, उभार, घाव, गांठ या तिल सामान्यतः नजर आते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में ये साधारण दिखने वाले दाग त्वचा कैंसर में विकसित हो सकते हैं।


भारत में स्किन कैंसर की स्थिति

भारत में त्वचा कैंसर का प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में कम है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल कैंसर मामलों में त्वचा कैंसर की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम है। फिर भी, लंबे समय तक चलने वाले त्वचा रोगों को नजरअंदाज करने से ये गंभीर रूप ले सकते हैं।


त्वचा पर बदलाव और कैंसर का खतरा

एचसीजी कैंसर सेंटर, बोरिवली के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. त्रिनंजन बसु के अनुसार, त्वचा पर उभार या तिल मेलानोसाइट्स में बदलाव के कारण होते हैं। ये धीरे-धीरे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा से अधिक आक्रामक मेलेनोमा में बदल सकते हैं। पुराने घाव, जलने के निशान, बार-बार होने वाले इन्फेक्शन और अनियंत्रित डायबिटीज स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के लिए जोखिम बढ़ा सकते हैं।


इन लक्षणों पर दें खास ध्यान

यदि त्वचा पर मौजूद तिल या दाग में निम्नलिखित बदलाव नजर आएं, तो तुरंत सतर्क हो जाएं। विशेषज्ञ इन्हें 'ABCDE' नियम के तहत वर्गीकृत करते हैं: असमानता (Asymmetry), किनारा (Border), रंग (Color), आकार (Diameter), और बदलाव (Evolving)।


स्किन कैंसर के अन्य कारण

डॉ. बसु के अनुसार, भारतीय मरीजों में त्वचा कैंसर के प्रमुख कारणों में आर्सेनिक विषाक्तता, कोयले और औद्योगिक रसायनों के संपर्क में आना शामिल हैं।


बचाव और समय पर जांच है जरूरी

1. त्वचा पर लंबे समय तक बने रहने वाले या बढ़ते हुए दाग-धब्बों की समय-समय पर स्किन एक्सपर्ट से जांच कराना आवश्यक है। सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव के लिए कम से कम SPF 15 वाला सनस्क्रीन रोजाना लगाना चाहिए।


2. यदि त्वचा पर कोई संदिग्ध परिवर्तन दिखे, तो तुरंत त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। आवश्यकता पड़ने पर वे आपको कैंसर विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं।