स्वामी सच्चिदानंद ने श्रम के महत्व पर दिया व्यायाम शिविर में संदेश
स्वामी सच्चिदानंद का प्रेरणादायक संदेश
(चरखी दादरी समाचार) चरखी दादरी। आर्यवीर दल और सर्वहित साधना न्यास के सहयोग से, आयुष विभाग और विद्यालय प्रबंधन के अंतर्गत, डी एस एम स्कूल, असावरी में चल रहे व्यायाम प्रशिक्षण एवं चरित्र निर्माण शिविर के नौवें दिन, स्वामी सच्चिदानंद और व्यायाम शिक्षक नारायण आर्य तथा रोहित आर्य ने शिविर में भाग लेने वालों को विभिन्न व्यायामों के साथ-साथ लाठी और नानचाकू के अभ्यास का प्रशिक्षण दिया।
इस अवसर पर स्वामी सच्चिदानंद ने शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपने शरीर से हमेशा अपने लक्ष्य के अनुरूप श्रम करने के लिए तत्पर रहता है, वह अपनी शक्तियों का सही उपयोग करता है और इस प्रकार वह सफल होता है। सक्रियता जीवन का प्रतीक है, जबकि निष्क्रियता मृत्यु का।
जो युवा श्रम से बचते हैं और आलस्य में पड़े रहते हैं, उन्हें जीवित नहीं कहा जा सकता। श्रम करने से शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बनता है, जिससे सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। निष्क्रिय इच्छाएं कभी सफल नहीं होतीं। मनुष्य में सफलता की संभावनाएं निहित होती हैं, लेकिन उनका विकास और उपयोग श्रम और पुरुषार्थ से ही संभव है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सफलता मनुष्य के पसीने का मूल्य है।
इस कार्यक्रम में प्रिंसिपल सुखवीर सांगवान, एडवोकेट अजय सांगवान, भूपेंद्र आर्य, नरेश पहलवान, चांदसिंह आर्य, रामकुमार, अभय सांगवान, तक्षक, साहिल आदि की विशेष उपस्थिति रही।
