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हरियाणा की मोनी छौक्कर ने एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

हरियाणा की 16 वर्षीय मोनी छौक्कर ने एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने कजाकिस्तान की खिलाड़ी को हराकर न केवल अपने गांव और राज्य का नाम रोशन किया, बल्कि पूरे देश को गर्वित किया। मोनी की इस सफलता ने युवाओं, खासकर लड़कियों के लिए प्रेरणा का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। जानें उनकी यात्रा और आगामी वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी के बारे में।
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हरियाणा की मोनी छौक्कर ने एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

हरियाणा की मोनी छौक्कर ने रचा इतिहास

Asian Wrestling Championship: हरियाणा की मोनी छौक्कर ने गोल्ड जीता, कजाकिस्तान को हराया: एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में हरियाणा की 16 वर्षीय मोनी छौक्कर ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। समालखा के पट्टीकल्याणा गांव की इस युवा खिलाड़ी ने वियतनाम में आयोजित अंडर-17 प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया।


फाइनल में मोनी ने कजाकिस्तान की एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हराकर न केवल अपने गांव और राज्य, बल्कि पूरे भारत का गौरव बढ़ाया। उनकी इस सफलता ने युवाओं, विशेषकर लड़कियों के लिए प्रेरणा का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। आइए, मोनी की इस शानदार जीत और उनकी यात्रा के बारे में विस्तार से जानते हैं।


कजाकिस्तान को हराकर तिरंगा लहराया


वियतनाम के वुंग ताऊ में 24-25 जून को आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में मोनी ने 57 किलो वर्ग में भाग लिया। फाइनल में उन्होंने कजाकिस्तान की खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया।


मोनी की इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उनके पिता, राजेश छौक्कर ने बेटी की उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए बताया कि मोनी ने अपनी मेहनत और कोच विक्की पहलवान की ट्रेनिंग से यह सफलता हासिल की है। यह जीत भारत के लिए गर्व का क्षण है।


परिवार की खेल परंपरा को आगे बढ़ाते हुए


मोनी की सफलता कोई संयोग नहीं है, बल्कि उनके परिवार की खेल परंपरा का परिणाम है। उनकी बड़ी बहन तन्नू ने भी अप्रैल 2025 में दुबई में 400 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता था। मोनी और तन्नू दोनों का सपना ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है।


राजेश छौक्कर ने बताया कि उनकी बेटियां गांव के कोच विक्की पहलवान की देखरेख में रेसलिंग की तकनीक सीख रही हैं। मोनी की इस जीत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे पट्टीकल्याणा गांव को गर्व से भर दिया है। यह उपलब्धि युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी


मोनी की नजर अब अगले महीने होने वाली वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप पर है। अंडर-17 वर्ग में भाग लेने के लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं। मोनी की इस जीत ने हरियाणा की बेटियों की ताकत को फिर से साबित किया है, जो खेल के मैदान में किसी से कम नहीं हैं।


उनके पिता का कहना है कि मोनी का लक्ष्य ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम ऊंचा करना है। मोनी की यह कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखता है। एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में उनकी जीत इस दिशा में पहला कदम है।