हरियाणा कुम्हार भूमि योजना: मुफ्त भूमि के अधिकारिक दस्तावेज का वितरण

हरियाणा कुम्हार भूमि योजना का महत्व
हरियाणा कुम्हार भूमि योजना: मुख्यमंत्री सैनी देंगे मुफ्त भूमि के स्थायी दस्तावेज, जानें कौन-कौन शामिल होंगे: यह योजना राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके तहत प्रजापति समुदाय को मुफ्त भूमि के अधिकारिक दस्तावेज प्रदान किए जा रहे हैं। लंबे समय से कुम्हार समाज के लोग पंचायती भूमि पर मिट्टी के बर्तन बनाकर अपनी आजीविका चला रहे थे, लेकिन उनके पास उस भूमि का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।
पात्रता प्रमाण पत्र का वितरण
हरियाणा सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए उन्हें 'पात्रता प्रमाण पत्र' देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी 13 अगस्त को कुरुक्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में इन प्रमाण पत्रों का वितरण करेंगे। इस अवसर पर प्रदेशभर से कुम्हार समुदाय के लोग उपस्थित रहेंगे।
कौन से जिले शामिल होंगे?
हरियाणा कुम्हार भूमि योजना में शामिल जिले: इस योजना के तहत हर जिले में विभिन्न जनप्रतिनिधि प्रमाण पत्र वितरित करेंगे। करनाल में विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, जींद में उपाध्यक्ष कृष्ण लाल मिड्ढा, अंबाला में मंत्री अनिल विज, कैथल में कृष्ण लाल पंवार, गुरुग्राम में राव नरबीर सिंह, पानीपत में महीपाल ढांडा, फरीदाबाद में विपुल गोयल, रोहतक में डॉ. अरविंद शर्मा, यमुनानगर में श्याम सिंह राणा, हिसार में रणबीर सिंह गंगवा, फतेहाबाद में कृष्ण कुमार बेदी, भिवानी में श्रुति चौधरी, महेन्द्रगढ़ में आरती सिंह राव, झज्जर में राजेश नागर, पलवल में गौरव गौतम, चरखी दादरी में धर्मबीर सिंह, नूंह में किरण चौधरी, पंचकूला में रेखा शर्मा, रेवाड़ी में कार्तिकेय शर्मा, सिरसा में सुभाष बराला और सोनीपत में नवीन जिंदल इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
कुम्हारों की कला को मिलेगा बढ़ावा
मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को बढ़ावा: इस योजना का उद्देश्य केवल भूमि प्रदान करना नहीं है, बल्कि कुम्हारों की पारंपरिक कला को संरक्षित करना भी है। जिन गांवों में कुम्हार समाज की संख्या अधिक है, वहां उन्हें पहले 'आवापजावा' भूमि दी जाती थी। इसी भूमि पर वे बर्तन बनाते थे और उन्हें आग में पकाकर बेचते थे। अब सरकार उन्हें उस भूमि का कानूनी अधिकार दे रही है ताकि वे बिना किसी रुकावट के अपना काम जारी रख सकें। (potter land rights Haryana) और (free land for potters Haryana) जैसी योजनाएं न केवल आजीविका को सुरक्षित करती हैं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी संजोती हैं।