हरियाणा में डॉक्टरों की 48 घंटे की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
हरियाणा में हड़ताल का प्रभाव
हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में आज से शुरू हुई 48 घंटे की हड़ताल का असर मरीजों की नियमित सेवाओं पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। ओपीडी, सर्जरी और सामान्य उपचार जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रभावित हुई हैं, जबकि आपातकालीन सेवाओं को जारी रखने की कोशिश की जा रही है।
डॉक्टरों की नाराजगी का कारण
डॉक्टरों का कहना है कि वे पिछले वर्ष सरकार से किए गए वादों को लागू कराने के लिए विरोध कर रहे हैं, न कि कोई नई मांग उठा रहे हैं। राज्य में लगभग 3,000 सरकारी डॉक्टर इस आंदोलन का हिस्सा बने हैं।
मुख्य मांगें
डॉक्टरों की मुख्य मांगें दो हैं:
- एसएमओ (सीनियर मेडिकल ऑफिसर) की सीधी भर्ती पर रोक
- डॉक्टरों की एसीपी यानी Assured Career Progression में सुधार
डॉक्टरों की स्थिति
हरियाणा मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया का कहना है कि इन दोनों मुद्दों पर पिछले साल मुख्यमंत्री के साथ सहमति बन चुकी थी और अधिकारियों को आदेश भी दिए गए थे। लेकिन एक साल बीतने के बावजूद फाइलें आगे नहीं बढ़ीं और विभागीय स्तर पर कार्रवाई रोक दी गई।
“राजनीतिक इच्छा शक्ति तो दिखाई दी, लेकिन ब्यूरोक्रेसी ने इसे लागू नहीं होने दिया। इसलिए डॉक्टरों को मजबूर होकर हड़ताल करनी पड़ी।”
अस्पतालों की तैयारियां
पंचकूला सिविल अस्पताल के पीएमओ डॉ. आर एस चौहान ने दावा किया कि अस्पताल में जरूरी सेवाएं जारी हैं। उन्होंने बताया कि अतिरिक्त डॉक्टरों को मुलाना मेडिकल यूनिवर्सिटी से बुलाया गया है, ताकि मरीजों को परेशानी न हो।
सुबह से अस्पतालों में लंबी कतारें दिखाई पड़ीं। हालांकि कई मरीजों ने कहा कि उन्हें इलाज मिल रहा है, बस इंतजार अधिक करना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कैडर प्रोग्रेसन और भर्ती नीति स्पष्ट नहीं होती, तो:
- अनुभवी डॉक्टरों का मनोबल गिरता है
- सार्वजनिक अस्पतालों में कर्मचारी कमी और बढ़ सकती है
- निजी अस्पतालों की ओर मरीजों का झुकाव होगा
“हरियाणा जैसे राज्यों में डॉक्टरों की कमी पहले से चुनौती है। यदि लंबे समय तक हड़ताल रही तो ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक असर दिखेगा।”
आंदोलन की चेतावनी
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं हुआ तो आंदोलन अनिश्चितकाल तक बढ़ाया जा सकता है। सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन उम्मीद है कि बातचीत की कोशिशें जल्द शुरू हों।
महत्वपूर्ण जानकारी
- हरियाणा में स्वास्थ्य ढांचे पर पहले से दबाव है
- 3,000 से अधिक डॉक्टरों का एक साथ विरोध राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चुनौती है
- यह मामला बताता है कि नीतियों को लागू करने में देरी जनता तक सीधा असर डालती है
