हरियाणा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई अनाज मंडी की शुरुआत

हरियाणा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में कदम
हरियाणा प्राकृतिक खेती: गुरुग्राम में नई अनाज मंडी, सरकार खरीदेगी प्राकृतिक फसलें: हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गुरुग्राम में एक नई अनाज मंडी की स्थापना की गई है, जो प्राकृतिक विधियों से उगाई गई फसलों को खरीदेगी।
इस मंडी में फसलों की गुणवत्ता की जांच के लिए एक प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि यह पहल किसानों की आय में वृद्धि और स्थायी खेती को बढ़ावा देने में सहायक होगी। आइए जानते हैं इस पहल के लाभ और सरकार की योजनाओं के बारे में।
गुरुग्राम अनाज मंडी: प्राकृतिक फसलों का नया बाजार
हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम में एक आधुनिक अनाज मंडी की स्थापना की है, जो विशेष रूप से प्राकृतिक खेती की फसलों को खरीदने के लिए समर्पित है। इस मंडी में एक प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जो फसलों की गुणवत्ता की जांच करेगी। गुणवत्ता सुनिश्चित होने के बाद, एक समिति फसलों की कीमत तय करेगी।
यह पहल प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। सरकार का लक्ष्य एक लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है, जबकि वर्तमान में यह 10,000 एकड़ में हो रही है और तेजी से बढ़ रही है।
किसानों का सम्मान और बागवानी को प्रोत्साहन
कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने लाडवा में आयोजित 7वें फल उत्सव में प्राकृतिक खेती और बागवानी को बढ़ावा देने की बात की। उन्होंने 10 प्रगतिशील किसानों को 5,100 रुपये, ट्रॉफी, और प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया।
लाडवा के उप उष्णकटिबंधीय फल केंद्र में आम का पौधा रोपकर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस केंद्र में आम, लीची, और चीकू जैसी फसलों पर अनुसंधान किया जा रहा है। वैज्ञानिक एक ऐसे आम के पेड़ पर काम कर रहे हैं, जिसके फल की कीमत 1 लाख रुपये प्रति किलो तक हो सकती है। यह बागवानी को बढ़ावा देगा।
सरकार की योजनाएं और भविष्य की दिशा
हरियाणा सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई योजनाएं तैयार कर रही है। प्राकृतिक खेती के साथ-साथ बागवानी, मछली पालन, और मधुमक्खी पालन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। 17 बागवानी केंद्रों में से 11 बन चुके हैं, और जल्द ही अंबाला और यमुनानगर में नए केंद्र खोले जाएंगे।
यदि फसलों का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम होता है, तो भावांतर भरपाई योजना के तहत नुकसान की भरपाई की जाएगी। सरकार खनन गड्ढों का उपयोग मछली पालन के लिए करेगी। ये योजनाएं 2027 तक भारत को तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने में मदद करेंगी।