हरियाणा में बाजरा किसानों के लिए नई चुनौतियाँ: भावांतर योजना का लाभ सीमित

हरियाणा के बाजरा किसानों के लिए कठिनाई
Bhavantar Bharpai Yojana Haryana Bajra MSP Price: चंडीगढ़ | हरियाणा में बाजरा उगाने वाले किसानों के लिए इस बार की स्थिति चिंताजनक है। राज्य सरकार ने इस सीजन में बाजरे की सरकारी खरीद को रोकने का निर्णय लिया है, जिसके कारण किसानों को अपनी फसल निजी खरीदारों को बेचना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार ने ‘भावांतर भरपाई योजना’ के तहत नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया है, लेकिन इसका लाभ केवल पंजीकृत किसानों को ही मिलेगा, जिससे कई किसान इस योजना से वंचित रह सकते हैं.
नूंह में बारिश का प्रभाव
नूंह जिले में हुई भारी बारिश ने बाजरे की फसल को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। बचे हुए फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। मंडियों में बाजरे की आवक शुरू हो गई है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुकाबले बहुत कम दाम मिल रहे हैं। किसान मजबूरन अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचने को विवश हैं, जिससे उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
सरकारी खरीद का न होना और भावांतर योजना
हरियाणा सरकार ने इस बार बाजरे की सरकारी खरीद नहीं करने का निर्णय लिया है। इसके बजाय, किसानों को अपनी फसल निजी आढ़तियों या खरीदारों को बेचनी होगी। राहत के तौर पर, सरकार ने ‘भावांतर भरपाई योजना’ लागू की है, जिसके तहत यदि बाजार में MSP से कम कीमत मिलती है, तो सरकार अंतर की राशि किसानों को देगी। लेकिन यह योजना केवल उन किसानों के लिए है जो पहले से पंजीकृत हैं.
नूंह में बारिश का कहर
नूंह जिले में इस वर्ष औसत से अधिक बारिश ने बाजरे की फसल को बर्बाद कर दिया है। बचे हुए फसल की गुणवत्ता भी खराब हो गई है, जिसके कारण मंडियों में अच्छी कीमत नहीं मिल रही। MSP 2,725 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है, लेकिन बाजार में किसानों को 2,000-2,300 रुपये प्रति क्विंटल के दाम मिल रहे हैं. पुन्हाना मंडी में 20,000 क्विंटल और नूंह मंडी में 400 क्विंटल बाजरे की आवक दर्ज की गई है.
पंजीकरण और गेट पास की प्रक्रिया
‘भावांतर भरपाई योजना’ का लाभ उठाने के लिए किसानों को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है। पंजीकृत किसानों को मंडी में गेट पास मिलेगा, और निजी खरीद के बाद सरकार MSP और बाजार मूल्य के अंतर को उनके बैंक खाते में जमा करेगी.
कीमतों में अंतर और आर्थिक प्रभाव
मंडियों में बाजरे की कीमत MSP (2,725 रुपये प्रति क्विंटल) से काफी कम है। निजी खरीदार 2,000-2,300 रुपये प्रति क्विंटल के दाम दे रहे हैं। यह अंतर किसानों की कमाई को सीमित कर रहा है और उनकी मेहनत व लागत का सही मुआवजा नहीं मिल पा रहा। पुन्हाना मंडी में 20,000 क्विंटल की भारी आवक हुई, जबकि नूंह में केवल 400 क्विंटल पहुंचा, जो क्वालिटी और ट्रांसपोर्टेशन की समस्याओं को दर्शाता है.
किसानों की नाराजगी और मांग
किसान पहले ही बारिश से हुए नुकसान से परेशान हैं। अब MSP न मिलना और निजी खरीदारों का कम दाम देना उनके लिए दोहरी मार बन गया है.
किसान चाहते हैं कि सरकार निजी खरीदारों पर नजर रखे, सरकारी खरीद फिर से शुरू करे या MSP की गारंटी दे। उनकी मांग है कि सरकार सख्त दिशानिर्देश जारी करे ताकि उनकी मेहनत का सही दाम मिल सके.