हरियाणा में मधुमक्खी पालन को मिली नई दिशा: किसानों के लिए लाभकारी योजनाएं

हरियाणा के किसानों के लिए नई खुशखबरी
हरियाणा में मधुमक्खी पालन: किसानों के लिए बड़ा तोहफा: अब शहद पर भी मिलेगा भावांतर भरपाई योजना का लाभ! कुरुक्षेत्र | हरियाणा के किसानों के लिए एक नई खुशखबरी आई है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शुक्रवार को कुरुक्षेत्र में मधुमक्खी पालन पर आयोजित एक राज्यस्तरीय कार्यशाला में महत्वपूर्ण घोषणा की।
उन्होंने बताया कि किसान खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन करके अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘स्वीट क्रांति’ को साकार करने के लिए हरियाणा तेजी से कदम उठा रहा है। इस अवसर पर सीएम ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की।
भावांतर भरपाई योजना में शहद का समावेश
किसानों के हित में बड़ा निर्णय
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने घोषणा की है कि अब शहद को भी भावांतर भरपाई योजना में शामिल किया जाएगा।
कुरुक्षेत्र के रामनगर में स्थित एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र में शहद की बिक्री, भंडारण और गुणवत्ता जांच की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके लिए 20 करोड़ रुपये की लागत से एक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला का निर्माण किया जाएगा, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल सके।
रामनगर बनेगा राष्ट्रीय स्तर का केंद्र
मुख्यमंत्री ने बताया कि रामनगर में इजरायल के सहयोग से देश का पहला एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र स्थापित किया गया है। इसे राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनाया जाएगा, जहां मधुमक्खी पालन से संबंधित उन्नत और वैज्ञानिक अनुसंधान होंगे। यहां किसानों को प्रशिक्षण और शहद के प्रसंस्करण की सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।
मधुमक्खी पालन नीति से रोजगार में वृद्धि
सीएम ने कहा कि हरियाणा सरकार की ‘मधुमक्खी पालन नीति- 2021’ के तहत 2030 तक 7,750 मधुमक्खी पालकों को तैयार करने और 15,500 मीट्रिक टन शहद उत्पादन का लक्ष्य है।
इसके लिए मधुमक्खी के बक्सों, कॉलोनियों और उपकरणों पर 85% तक की सब्सिडी दी जा रही है। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी।
सरकार का समर्थन
मुख्यमंत्री ने कहा कि मधुमक्खी पालन के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता नहीं है। महिलाएं और युवा इसे स्टार्टअप के रूप में शुरू कर सकते हैं।
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपना हनी ब्रांड लॉन्च करें और ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिए अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहुंचाएं। सरकार आर्थिक सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन में हर कदम पर उनका साथ देगी।