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हरीतकी: आयुर्वेद में अमृत समान जड़ी-बूटी के लाभ

आयुर्वेद में हरीतकी को अमृत समान माना जाता है। यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखती है, बल्कि पाचन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और त्वचा की समस्याओं में भी मदद करती है। जानें इसके अद्भुत लाभ और उपयोग के तरीके।
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हरीतकी: आयुर्वेद में अमृत समान जड़ी-बूटी के लाभ

हरीतकी का महत्व और लाभ

आयुर्वेद में कुछ जड़ी-बूटियों को अमृत के समान माना जाता है, जिनमें से हरीतकी एक प्रमुख है। संस्कृत में इसे अभया कहा जाता है, जिसका अर्थ है भय को दूर करने वाली। यह त्रिफला का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसे शरीर को युवा, स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने वाली औषधियों में गिना जाता है। 


हरीतकी वास्तव में एक पेड़ का फल है, जो भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण एशिया के विभिन्न क्षेत्रों में पाया जाता है। आयुर्वेद में इसे त्रिदोषहर माना गया है, जो वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।


इसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है, लेकिन इसके लाभ इतने हैं कि लोग जल्दी ही इसके स्वाद के आदी हो जाते हैं। यह पाचन में सुधार, शरीर से विषैले तत्वों को निकालने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध है। यदि आपको कब्ज की समस्या है, तो रात में एक चम्मच हरीतकी चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से पेट साफ रहता है और शरीर हल्का महसूस होता है। मुंह के छालों या बदबू में यह अत्यंत प्रभावी है। हरीतकी चूर्ण से कुल्ला करने पर मुंह की सफाई होती है और छालों में राहत मिलती है।


बालों के झड़ने या डैंड्रफ की समस्या में भी हरीतकी लाभकारी है। इसे आंवला और रीठा के साथ उबालकर उस पानी से बाल धोने से बाल मजबूत होते हैं और डैंड्रफ कम होता है। त्वचा रोग जैसे खुजली, फोड़े-फुंसी या एक्जिमा में हरीतकी, हल्दी और नीम की पत्तियों का लेप लगाना बहुत प्रभावी है। डायबिटीज के मरीजों के लिए सुबह खाली पेट इसका सेवन ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।


हरीतकी का एक और लाभ यह है कि यह पाचन और मेटाबॉलिज्म को सुधारती है। सेंधा नमक और अदरक के साथ इसका सेवन गैस, अपच और भारीपन से राहत देता है। वजन घटाने में भी यह सहायक है। शहद और गुनगुने पानी के साथ लेने पर यह मेटाबॉलिज्म को तेज करती है और फैट बर्न करने में मदद करती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए हरीतकी को पानी में भिगोकर उस पानी से आंखें धोना भी फायदेमंद है।


आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान बुद्ध हमेशा अपने साथ हरीतकी रखते थे। यह केवल एक औषधि नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का एक साधन है। हरीतकी का सही उपयोग करने से रोग दूर होते हैं और शरीर अंदर से मजबूत बनता है। हालांकि, इसे बिना आयुर्वेदाचार्य की सलाह के नहीं लेना चाहिए।