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हिमाचल प्रदेश में मानसून से आई आपदा: कुत्ते ने बचाई 67 लोगों की जान

हिमाचल प्रदेश में मानसून के कारण आई आपदा ने कई गांवों को प्रभावित किया है। मंडी जिले के सियाथी गांव में एक कुत्ते ने 67 लोगों की जान बचाई, जबकि अन्य पीड़ित त्रियंबला गांव के नैना देवी मंदिर में शरण लिए हुए हैं। राज्य में अब तक 78 लोगों की मौत हो चुकी है, और मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है। जानें इस आपदा के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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हिमाचल प्रदेश में मानसून से आई आपदा: कुत्ते ने बचाई 67 लोगों की जान

आपदा का मंजर

हिमाचल प्रदेश में मानसून के कारण लगातार बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। मंडी जिले के धरमपुर क्षेत्र के सियाथी गांव में 30 जून की रात को अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने गांव को तबाह कर दिया। लेकिन एक कुत्ते ने खतरे को भांपते हुए भौंककर लोगों को जगाया, जिससे 20 परिवारों के 67 लोग सुरक्षित भागने में सफल रहे।


पीड़ितों की स्थिति

आपदा के बाद बचे हुए लोग अब त्रियंबला गांव में स्थित नैना देवी मंदिर में शरण लिए हुए हैं। इस हादसे ने कई लोगों को मानसिक रूप से प्रभावित किया है, जिससे कई पीड़ित उच्च रक्तचाप और अवसाद का सामना कर रहे हैं। आसपास के गांवों के लोग भी पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आए हैं। सरकार ने हर परिवार को ₹10,000 की सहायता देने की घोषणा की है।


राज्य में मौतों का आंकड़ा

राज्य में अब तक 78 लोगों की मौत


राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, 20 जून से मानसून के आगमन के बाद से हिमाचल प्रदेश में 78 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 50 मौतें बारिश, भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और बादल फटने जैसी घटनाओं में हुई हैं, जबकि 28 लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं। राज्य में अब तक 23 बार फ्लैश फ्लड, 19 बादल फटने और 16 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं।


मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित

मंडी सबसे ज्यादा प्रभावित


मंडी जिला इस समय सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। यहां बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण सबसे अधिक जान-माल का नुकसान हुआ है। मंडी में 156 सड़कों समेत कुल 280 सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं और यातायात के लिए बंद कर दी गई हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सोमवार को राज्य के 10 जिलों में फ्लैश फ्लड अलर्ट जारी किया है।