उत्तर प्रदेश में बुजुर्गों के लिए पेंशन प्रक्रिया में बदलाव
महत्वपूर्ण निर्णय: वृद्धावस्था पेंशन में सरलता
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में वृद्धावस्था पेंशन से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब राज्य में 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को पेंशन प्राप्त करने के लिए किसी भी फॉर्म को भरने की आवश्यकता नहीं होगी। वर्तमान में, यह सुविधा 67.50 लाख बुजुर्गों को उपलब्ध है।
बैठक में बताया गया कि ‘एक परिवार, एक पहचान’ योजना के तहत हर परिवार के 60 वर्ष से अधिक आयु के सदस्यों का संपूर्ण डेटा सरकार के पास होगा। इसी आधार पर योग्य बुजुर्गों को स्वतः वृद्धावस्था पेंशन प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, कैबिनेट ने कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों को भी मंजूरी दी है।
समाज कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि ‘एक परिवार, एक पहचान’ प्रणाली परिवार पहचान पत्र के माध्यम से लाभार्थियों की स्वचालित पहचान सुनिश्चित करेगी। लाभार्थी की सहमति मिलने के बाद पेंशन स्वीकृत की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली उन व्यक्तियों को डिजिटल रूप से ट्रैक करेगी जो 60 की आयु के करीब हैं और उन्हें एसएमएस, व्हाट्सऐप या फोन कॉल के माध्यम से सहमति प्रक्रिया शुरू करने की सूचना भेजी जाएगी। जहां डिजिटल सहमति नहीं मिल पाएगी, वहां अधिकारी या स्थानीय सहायक व्यक्तिगत रूप से संपर्क करेंगे।
मंत्री ने बताया कि सहमति मिलने के 15 दिनों के भीतर पेंशन स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और भुगतान सीधे आधार से जुड़े बैंक खाते में भेज दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, कैबिनेट ने किरायेदारी नियमों को सरल बनाने के लिए 10 साल तक के किराये के समझौतों पर स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। नए प्रावधानों के तहत एक वर्ष की अवधि के लिए 2 लाख रुपये तक के किराये के समझौतों पर स्टांप शुल्क घटाकर 500 रुपये कर दिया गया है।
