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घर पर बनाएं प्रभावी जैविक कीटनाशक: सरल उपाय

आजकल खेती में रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग बढ़ता जा रहा है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि कैसे आप घर पर उपलब्ध सामग्रियों से प्रभावी जैविक कीटनाशक बना सकते हैं। जानें सरल उपाय जैसे दशपर्णी अर्क और नीम का कीटनाशक, जो न केवल फसलों को सुरक्षित रखते हैं बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा करते हैं।
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घर पर बनाएं प्रभावी जैविक कीटनाशक: सरल उपाय

खेती में लाभदायक जैविक उपाय


खेती से अधिक लाभ कमाने के तरीके
कृषि में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग पिछले 70 वर्षों में काफी बढ़ गया है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में कमी आ रही है। रासायनिक उत्पादों का सेवन करने से आने वाली पीढ़ियों में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि इसके समाधान क्या हैं। यहां कुछ घरेलू उपाय बताए जा रहे हैं, जिनसे आप बिना रासायनिक उत्पादों के फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।


कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जैविक खेती और प्राकृतिक कृषि आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इससे न केवल फसलें कीटों से सुरक्षित रहती हैं, बल्कि उत्पादन भी बेहतर होता है। सबसे अच्छी बात यह है कि आप घर में उपलब्ध सामग्रियों जैसे गोमूत्र, गोबर, नीम, मिर्च, और चूना आदि का उपयोग करके प्रभावी कीटनाशक और खाद बना सकते हैं। इस प्रक्रिया में लागत बहुत कम होती है और पर्यावरण की सुरक्षा भी होती है।


कीटों को खेत में आने से रोकने के उपाय

खेत में कीटों को रोकने का एक सरल तरीका गंध का उपयोग करना है। लहसुन, अदरक और हींग को पीसकर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। इसकी तीव्र गंध कीटों को दूर रखती है। नीम, आक, धतूरा, बेशरम और सीताफल की पत्तियों को पांच लीटर गोमूत्र में डालकर मिट्टी के बर्तन में रखें। कुछ दिनों बाद इसे छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ फसल पर छिड़काव करें। इससे फसल में कीट नहीं लगेंगे.


जैविक कीटनाशक बनाने की विधि

दशपर्णी अर्क: यह रस चूसने वाले कीड़ों और इल्लियों के लिए बहुत प्रभावी है। इसे बनाने के लिए 200 लीटर पानी में 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलो गोबर, और विभिन्न प्रकार की पत्तियों जैसे नीम, करंज, पपीता, गेंदा, बेल, कनेर आदि को मिलाएं। इसमें तंबाकू, लहसुन, हल्दी, हरी मिर्च और अदरक का पेस्ट भी डालें। इस मिश्रण को 40 दिन तक छाया में रखें और फिर फसल पर स्प्रे करें.


नीम का कीटनाशक: 10 लीटर गोमूत्र में 3 किलो नीम की पत्तियां, 2-2 किलो आक, सीताफल, धतूरा और बेशरम की पत्तियों की चटनी मिलाकर उबालें। जब चार बार उबाल आ जाए, तो इसे उतारकर 48 घंटे ठंडा होने दें। फिर इसे छानकर 15 लीटर पानी में आधा से एक लीटर मिलाकर स्प्रे करें.


मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के उपाय

फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का स्वस्थ होना आवश्यक है। घन जीवा अमृत मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं को बढ़ाकर उसकी उर्वरता को बढ़ाता है। इसे बनाने के लिए 20 लीटर गोमूत्र, 10 किलो गोबर (15 दिन पुराना), 2 किलो बेसन, 2 किलो गुड़ और थोड़ी सी पीपल या बरगद के पेड़ की मिट्टी को 180 लीटर पानी में मिलाएं।


इस मिश्रण को एक बड़े टब में डालकर दिन में तीन बार हिलाएं। एक हफ्ते में यह तैयार हो जाएगा। इसे छानकर सिंचाई के पानी के साथ खेत में उपयोग करें.


फंगस और वायरस रोगों की रोकथाम

फंगस से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए खट्टी छाछ में तांबे का एक टुकड़ा डालकर दो दिन के लिए रखें। इसके बाद आधा लीटर छाछ को 15 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। यह फंगस से होने वाली बीमारियों को रोकता है.


वायरस से होने वाले रोगों के लिए पौधों को वायरस से बचाने के लिए 1 लीटर गोमूत्र में 50 ग्राम हल्दी और 15 लीटर पानी मिलाकर स्प्रे करें। इसके अलावा, हींग और हल्दी को पानी में मिलाकर फसल की जड़ों में डालने से भी वायरस का खतरा कम होता है.