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करवा चौथ की प्रेरणादायक कथाएँ: पतिव्रता का अद्भुत साहस

करवा चौथ की कथाएँ न केवल साहस और भक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि यह पतिव्रता स्त्रियों की निष्ठा को भी दर्शाती हैं। करवा की कहानी में एक पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए यमराज से भी भिड़ गई, जबकि वीरवती ने अपनी तपस्या से अपने पति को पुनः प्राप्त किया। जानें इन प्रेरणादायक कथाओं के पीछे का संदेश और कैसे ये सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।
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करवा चौथ की प्रेरणादायक कथाएँ: पतिव्रता का अद्भुत साहस

करवा की साहसी कथा


प्राचीन समय में, एक गाँव में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री निवास करती थी। एक दिन, उसका पति स्नान करने नदी गया। जैसे ही वह पानी में उतरा, एक मगरमच्छ अचानक प्रकट हुआ और उसके पैर को पकड़ लिया। मगरमच्छ उसे धीरे-धीरे नदी की गहराइयों में खींचने लगा। पति की चीख सुनकर करवा तुरंत नदी के किनारे पहुँची।



करवा ने अपने हाथ में एक धागा लिया और उसे मगरमच्छ के चारों ओर लपेट दिया। इसके बाद, वह यमराज के पास गई और उन्हें बताया कि मगरमच्छ ने उसके पति को पकड़ लिया है। करवा ने यमराज से प्रार्थना की कि वे उस मगरमच्छ को दंडित करें।


यमराज ने करवा को समझाया कि वह ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि मगरमच्छ में अभी जीवन है। करवा ने यमराज को श्राप देने की धमकी दी। यमराज उसकी बात सुनकर भावुक हो गए और उसके साथ नदी तक गए। वहाँ उन्होंने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा की निष्ठा को देखकर उसके पति को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। करवा चौथ का व्रत रखने वाली सभी महिलाओं को इस कथा का पाठ करना चाहिए और करवा माता से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे सभी पतियों की रक्षा करें।


वीरवती की करवा चौथ कथा

करवा चौथ की दूसरी कथा


शाकप्रस्थपुर में एक वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहित पुत्री वीरवती ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। चूंकि इस व्रत में चंद्रोदय के बाद ही भोजन किया जाता है, वीरवती भूख से व्याकुल हो गई। उसके भाई ने उसे भूखा देखकर एक पीपल के पेड़ के नीचे आतिशबाजी की और चंद्रोदय दिखाया, जिससे वीरवती ने अपना व्रत तोड़ दिया।


इसका परिणाम यह हुआ कि उसके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद, वीरवती ने बारह महीनों तक हर चतुर्थी को व्रत रखा और अंततः करवा चौथ पर अपनी तपस्या से अपने पति को वापस पा लिया।