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बच्चों में स्क्रीन टाइम की बढ़ती लत: सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे

हाल के एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि बच्चों में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की लत तेजी से बढ़ रही है। 66% माता-पिता मानते हैं कि उनके बच्चे सोशल मीडिया और गेमिंग के आदी हो गए हैं, जिससे कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इस लेख में हम सर्वेक्षण के नतीजों, डॉक्टरों की राय और इस समस्या से निपटने के उपायों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे आप अपने बच्चों की स्क्रीन टाइम को नियंत्रित कर सकते हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
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बच्चों में स्क्रीन टाइम की बढ़ती लत: सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे

बदलती लाइफस्टाइल और बच्चों की स्क्रीन लत


आजकल की बदलती जीवनशैली में, बच्चे और वयस्क दोनों ही अपना अधिकांश समय स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर व्यतीत कर रहे हैं। विशेष रूप से, बच्चे मोबाइल फोन, टैबलेट और कंप्यूटर पर काफी समय बिता रहे हैं, जिससे सोशल मीडिया, वीडियो और ऑनलाइन गेमिंग की लत बढ़ती जा रही है। यह जानकारी लोकलसर्कल्स द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में सामने आई है।


सर्वेक्षण के निष्कर्ष

इस सर्वे में यह पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 66 प्रतिशत माता-पिता का मानना है कि उनके 9 से 17 वर्ष के बच्चे सोशल मीडिया, OTT प्लेटफॉर्म और गेमिंग के आदी हो गए हैं। इससे बच्चों में बेचैनी, गुस्सा और सुस्ती जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इस अध्ययन में 368 जिलों के 70,000 से अधिक माता-पिता शामिल थे। सर्वेक्षण के अनुसार, 47% बच्चे प्रतिदिन 3 घंटे या उससे अधिक समय स्क्रीन पर बिताते हैं, जबकि 10 प्रतिशत बच्चे 6 घंटे से अधिक समय तक स्क्रीन का उपयोग करते हैं। यह लत COVID-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं से शुरू हुई और अब भी जारी है।


सर्वेक्षण के परिणाम

सर्वेक्षण में शामिल माता-पिता ने बताया कि:


58% ने कहा कि उनके बच्चे अधिक आक्रामक हो गए हैं।


49% ने बताया कि उनके बच्चे बेचैन हो रहे हैं।


49% बच्चों में सुस्ती देखी गई।


42% में डिप्रेशन के लक्षण पाए गए।


30% बच्चे हाइपरएक्टिव हो गए हैं।


डॉक्टरों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक स्क्रीन टाइम दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे ध्यान की कमी, बेचैनी और ADHD जैसे लक्षण बढ़ सकते हैं। नई दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में मनोचिकित्सा के प्रमुख डॉ. समीर मल्होत्रा के अनुसार, स्क्रीन से अधिक डोपामाइन हार्मोन निकलता है, जो नशे की लत का कारण बनता है। इससे बच्चे वास्तविक जीवन में बेचैन हो जाते हैं और उन्हें ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, स्क्रीन की लत 9-17 वर्ष के बच्चों में भावनात्मक समस्याएं भी बढ़ा रही है।


समस्या से निपटने के उपाय

स्क्रीन टाइम को रोजाना 1-2 घंटे तक सीमित करें।


बाहर खेलने, पढ़ाई करने और परिवार के साथ समय बिताने के अवसर बढ़ाएं।


माता-पिता को भी अपने स्क्रीन उपयोग को कम करना चाहिए।


पर्याप्त नींद और स्वस्थ आहार का ध्यान रखें। यदि समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक से सलाह लें।