भारत में लिव-इन रिलेशनशिप: कानूनी स्थिति और अधिकार
लिव-इन रिलेशनशिप की कानूनी स्थिति
भारत में पारंपरिक मूल्यों का परिवार और समाज पर गहरा प्रभाव है। विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है, और जो लोग बिना शादी के एक साथ रहते हैं, उन्हें अक्सर समाज से अलग कर दिया जाता है। इस संदर्भ में, कई लोग यह सोचने लगते हैं कि क्या लिव-इन रिलेशनशिप भारत में कानूनी रूप से मान्य हैं। हाल ही में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि लिव-इन रिलेशनशिप गैर-कानूनी नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों पार्टनर वयस्क हैं और अपनी इच्छा से एक साथ रहना चाहते हैं, तो किसी भी व्यक्ति या परिवार को उन्हें रोकने का अधिकार नहीं है। इस निर्णय ने न केवल लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के अधिकारों की रक्षा की, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार सभी पर लागू होता है, चाहे वे विवाहित हों या अविवाहित।
क्या लिव-इन रिलेशनशिप गैर-कानूनी हैं?
इस मामले में, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों ने सुरक्षा और शांतिपूर्ण जीवन के लिए 12 याचिकाएं दायर की थीं। सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप गैर-कानूनी नहीं हैं। चाहे समाज में इसे स्वीकार किया जाए या नहीं, इसे अपराध नहीं माना जा सकता। यदि कोई वयस्क अपनी इच्छा से अपने साथी के साथ रह रहा है, तो कोई भी परिवार का सदस्य या व्यक्ति उन्हें परेशान नहीं कर सकता। ऐसे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है।
संविधान के तहत अधिकार
याचिकाकर्ताओं को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। यह अधिकार शादी के होने या न होने से प्रभावित नहीं होता। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत सुरक्षा, भरण-पोषण और अन्य लाभों का लाभ उठा सकती हैं। कोर्ट ने सभी याचिकाएं स्वीकार कीं और निर्देश दिया कि यदि किसी की जान को खतरा है, तो संबंधित पुलिस अधिकारी उन्हें तुरंत सुरक्षा प्रदान करेगा।
लिव-इन रिलेशनशिप की परिभाषा
लिव-इन रिलेशनशिप एक ऐसा संबंध है जिसमें दो वयस्क बिना शादी के एक साथ रहते हैं। यह कानूनी रूप से रजिस्टर्ड नहीं होता है, और इसे समाप्त करने के लिए तलाक की आवश्यकता नहीं होती। यह जीवनशैली शादी जैसी कानूनी प्रतिबंधों से स्वतंत्रता प्रदान करती है।
लिव-इन रिलेशनशिप को कब वैध माना जाता है?
कोर्ट कुछ विशेष परिस्थितियों में लिव-इन रिलेशनशिप को विवाह के समान मानते हैं, जिससे इसमें शामिल व्यक्तियों को कुछ अधिकार मिलते हैं। ऐसा होने के लिए कई शर्तें पूरी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, जोड़े को महीनों या वर्षों तक एक साथ रहना चाहिए; कुछ दिन या हफ्ते साथ रहना पर्याप्त नहीं है। कपल्स को अपने रिश्ते को दोस्तों, रिश्तेदारों और समाज के सामने एक स्थायी साझेदारी के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। दोनों व्यक्तियों को वयस्क होना चाहिए। भावनात्मक और करीबी समर्थन, संसाधनों का साझा करना, वित्तीय सहायता, संयुक्त बैंक खाता आदि भी होना चाहिए। उन्हें घर की जिम्मेदारियों को भी साझा करना चाहिए। इसके अलावा, दोनों का रिश्ते के प्रति स्पष्ट इरादा और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। साथ में बच्चे होना रिश्ते की स्थिरता और गंभीरता को दर्शाता है।
