मानसून में पौधों की देखभाल: जानें कैसे रखें उन्हें हरा-भरा

मानसून का जादू और पौधों की देखभाल
मानसून का मौसम न केवल सुहावना होता है, बल्कि यह हरियाली को भी बढ़ावा देता है। बारिश की बूँदें पेड़-पौधों में नई जान डाल देती हैं। हालांकि, कई बार इस मौसम में पौधे मुरझाने या सूखने लगते हैं। यदि आपके पौधों के साथ ऐसा हो रहा है, तो यह कुछ गलतियों का परिणाम हो सकता है।
कई लोग यह मानते हैं कि मानसून में पौधों को अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यह धारणा गलत साबित हो सकती है। बारिश के दौरान नमी बढ़ जाती है, धूप कम होती है, और मिट्टी बार-बार गीली हो जाती है। इन सभी कारकों का पौधों पर प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कि किन गलतियों के कारण आपके पौधे सूख रहे हैं और उन्हें हरा-भरा कैसे बनाए रखें।
मिट्टी में पानी की निकासी
मानसून में सबसे आम समस्या होती है ज़रूरत से अधिक पानी देना, जिससे मिट्टी बहुत गीली हो जाती है। यदि मिट्टी अधिक गीली रहती है, तो पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करें कि गमलों में पानी की निकासी के लिए छेद हैं और उन्हें भरने से बचें। पौधों के लिए रेतीली मिट्टी का उपयोग करना भी फायदेमंद है।
धूप की कमी का प्रभाव
मानसून के दौरान धूप की कमी होती है, जिससे पौधों को पर्याप्त रोशनी नहीं मिलती। इससे उनकी प्रकाश संश्लेषण क्षमता प्रभावित होती है और वे कमजोर हो जाते हैं। इसलिए, मानसून में पौधों को ऐसी जगह रखें जहाँ अधिक धूप मिल सके।
पानी देने का सही समय
बारिश के कारण पौधों को पहले से ही पानी मिल जाता है, इसलिए इस मौसम में उन्हें अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। अधिक पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं। पानी तभी दें जब मिट्टी सूखी दिखे।
पत्तियों की देखभाल
बारिश के मौसम में पत्तियों पर फफूंद लगने की संभावना बढ़ जाती है। यदि समय-समय पर पत्तियों की कटाई नहीं की जाती है, तो वे पौधे को सड़ने का कारण बन सकती हैं। इसलिए, नियमित रूप से पत्तियों को काटें या गुनगुने पानी से साफ करें।
गमले की सही स्थिति
मानसून में हवा में नमी बढ़ जाती है, इसलिए पौधों को नमी वाली जगह पर रखने से बचें। गमलों को खुली जगह पर रखें ताकि उन्हें पर्याप्त हवा और वेंटिलेशन मिल सके, जिससे फंगल इन्फेक्शन का खतरा कम हो सके।