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हल्दी के फायदे और नुकसान: जानें सही मात्रा और सावधानियां

हल्दी, जो भारतीय व्यंजनों और आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण मसाला है, के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। हालांकि, इसके अत्यधिक सेवन से किडनी और लिवर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इस लेख में, हम हल्दी के फायदे, इसके सेवन की सुरक्षित मात्रा और संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं। जानें कि आपको हल्दी का सेवन कैसे करना चाहिए और किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।
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हल्दी के फायदे और नुकसान: जानें सही मात्रा और सावधानियां

हल्दी का महत्व और सावधानियां


हल्दी भारतीय व्यंजनों और आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण मसाला और औषधि के रूप में प्रयोग होती है। आयुर्वेद में इसके कई लाभ बताए गए हैं। इसमें करक्यूमिन नामक एक सक्रिय यौगिक होता है, जो हल्दी का सबसे प्रभावी तत्व है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण, चोट लगने पर हल्दी वाला दूध पीने की सलाह दी जाती है। हालांकि, यदि हल्दी का सेवन अत्यधिक किया जाए, तो यह लिवर और किडनी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, हल्दी का सेवन करने से पहले इसके संभावित दुष्प्रभावों और उचित मात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।


किडनी पर हल्दी का प्रभाव

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिसिन के अनुसंधान के अनुसार, हल्दी में ऑक्सालेट की उपस्थिति होती है, जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर यूरिन में ऑक्सालेट के स्तर को बढ़ा सकती है। इससे कैल्शियम ऑक्सालेट किडनी स्टोन का खतरा बढ़ सकता है, विशेषकर उन व्यक्तियों में जिनको पहले से किडनी स्टोन की समस्या रही हो। एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया है कि हल्दी या करक्यूमिन सप्लीमेंट्स की अधिक खुराक लेने से कुछ लोगों में ऑक्सालेट नेफ्रोपैथी (किडनी क्षति) के मामले सामने आए हैं।


लिवर पर हल्दी का प्रभाव

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य आहार में हल्दी आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती है और कभी-कभी यह लिवर की सूजन में भी सहायक होती है। लेकिन हाल के वर्षों में, लोगों ने हल्दी या करक्यूमिन सप्लीमेंट्स की अधिक मात्रा लेना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों में 1-4 महीने के भीतर दवा से संबंधित लिवर की गंभीर चोट, लिवर फेलियर और कभी-कभी हेपेटो-रीनल सिंड्रोम भी देखा गया है। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब हल्दी में पिपेरिन (काली मिर्च का अर्क) होता है, जो अवशोषण को बढ़ा देता है।


हल्दी की सुरक्षित मात्रा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) रोजाना करक्यूमिन का सेवन 0–3 mg प्रति किलोग्राम शरीर वजन तक सीमित रखने की सलाह देता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी का वजन 60–70 किलोग्राम है, तो उसे प्रतिदिन लगभग 200 mg से अधिक करक्यूमिन नहीं लेना चाहिए। भारतीय आहार में, एक सामान्य भारतीय आहार में 2–2.5 g हल्दी से केवल 60–100 mg करक्यूमिन प्राप्त होता है।


यदि आपको किडनी या लिवर से संबंधित कोई गंभीर समस्या नहीं है, तो खाना बनाते समय रोजाना आधा या एक चम्मच हल्दी (लगभग 2–3 g) लेना आमतौर पर सुरक्षित है। जिन व्यक्तियों को पहले से किडनी की बीमारी, किडनी स्टोन, लिवर की बीमारी (जैसे फैटी लिवर, हेपेटाइटिस), या जो ब्लड थिनर जैसी दवाएं ले रहे हैं, उन्हें डॉक्टर से परामर्श किए बिना हल्दी की निर्धारित मात्रा से अधिक नहीं लेनी चाहिए। यदि हल्दी या करक्यूमिन सप्लीमेंट लेने के बाद पीलिया, गहरे रंग का यूरिन, अत्यधिक थकान, पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द, या अचानक किडनी की समस्या जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।