ITR-3 फॉर्म अब पूरी तरह से ऑनलाइन: करदाताओं के लिए नई सुविधा

ITR-3 फॉर्म की ऑनलाइन सुविधा
आयकर विभाग ने करदाताओं को राहत देते हुए ITR-3 फॉर्म को पूरी तरह से ऑनलाइन भरने की सुविधा उपलब्ध कराई है। यह निर्णय उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो शेयर बाजार में ट्रेडिंग (जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शंस – F&O), बिजनेस करते हैं या अनलिस्टेड शेयरों (जैसे NSE पर न सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर) में निवेश करते हैं। अब ये सभी करदाता आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाकर सीधे ऑनलाइन ITR-3 भर सकेंगे।
ITR-3 फॉर्म किसके लिए है?
ITR-3 फॉर्म को आयकर विभाग का “मास्टर फॉर्म” कहा जाता है, क्योंकि इसमें विभिन्न स्रोतों से आय की रिपोर्टिंग एक ही स्थान पर की जा सकती है। यह मुख्य रूप से उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) के लिए है जिनकी आय बिजनेस प्रॉफिट या प्रोफेशनल इनकम से होती है।
इस फॉर्म को भरने के लिए पात्र लोग:
शेयर बाजार में ट्रेडिंग (F&O, स्पेक्युलेटिव और नॉन-स्पेक्युलेटिव आय) करने वाले
अनलिस्टेड इक्विटी शेयर्स में निवेश करने वाले
फर्म में पार्टनर के रूप में आय प्राप्त करने वाले
वेतन, पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी या अन्य स्रोतों से आय वाले
विदेशों से आय या विदेशी संपत्ति रखने वाले
जिनकी कुल आय ₹50 लाख से अधिक है
वे करदाता जो ITR-1, ITR-2 या ITR-4 भरने के पात्र नहीं हैं
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR-3 में बदलाव
कैपिटल गेन की नई रिपोर्टिंग
अब शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को 23 जुलाई 2024 से पहले और उसके बाद की तारीखों के अनुसार अलग-अलग रिपोर्ट करना अनिवार्य है।शेयर बायबैक पर नुकसान की रिपोर्टिंग
अगर शेयर बायबैक पर नुकसान हुआ है और संबंधित डिविडेंड इनकम को “अन्य स्रोतों” में दिखाया गया है, तो ऐसे नुकसान का दावा किया जा सकता है।इनकम लिमिट में बदलाव
अब अगर किसी करदाता की कुल सालाना आय ₹1 करोड़ से अधिक है (पहले यह सीमा ₹50 लाख थी), तो उन्हें अपनी संपत्ति और देनदारियों (Assets & Liabilities) का पूरा विवरण देना होगा।TDS सेक्शन कोड रिपोर्टिंग
अब Schedule-TDS में यह स्पष्ट लिखना जरूरी होगा कि टैक्स किस सेक्शन के अंतर्गत कटा है।टैक्स रिजीम विकल्प (Form 10-IEA)
करदाताओं को यह बताना होगा कि उन्होंने पिछले साल नया टैक्स रिजीम चुना था या नहीं, और इस साल कौन-सा ऑप्शन अपनाना चाहते हैं।इंडेक्सेशन की जानकारी
अगर जमीन या इमारत 23 जुलाई 2024 से पहले बेची गई है, तो अधिग्रहण लागत और सुधार लागत अलग से बतानी होगी। वहीं, अगर आय ₹1 करोड़ से अधिक है तो संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा भी अनिवार्य होगा।डिविडेंड आय की नई लाइन
कंपनी बायबैक से प्राप्त डिविडेंड आय को अब Section 2(22)(f) के अंतर्गत अलग से दिखाना होगा।कैपिटल गेन रिपोर्टिंग में स्पष्टता
23 जुलाई 2024 से पहले और बाद के लेन-देन को अलग-अलग दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है।
करदाताओं को होगा बड़ा फायदा
ITR-3 फॉर्म को ऑनलाइन भरने की सुविधा मिलने से अब करदाताओं को मैन्युअल फाइलिंग या थर्ड-पार्टी पोर्टल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सीधे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाकर आवश्यक जानकारी भरकर फॉर्म सबमिट किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से करदाताओं को समय की बचत, पारदर्शिता और आसान ट्रैकिंग का लाभ मिलेगा। साथ ही, शेयर बाजार और बिजनेस इनकम की जटिल रिपोर्टिंग भी अधिक व्यवस्थित और स्पष्ट हो जाएगी।