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ITR-3 फॉर्म में बदलाव: ऑनलाइन भरने की सुविधा और नई रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ

आयकर विभाग ने ITR-3 फॉर्म को ऑनलाइन भरने की सुविधा प्रदान की है, जिससे लाखों करदाताओं को राहत मिलेगी। यह फॉर्म विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं या व्यवसाय करते हैं। जानें इस फॉर्म के लिए पात्रता, और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए हुए महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में।
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ITR-3 फॉर्म में बदलाव: ऑनलाइन भरने की सुविधा और नई रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ

महत्वपूर्ण घोषणा: ITR-3 फॉर्म की ऑनलाइन सुविधा

30 जुलाई को, आयकर विभाग ने एक महत्वपूर्ण सूचना जारी की है, जिससे लाखों करदाताओं को राहत मिलेगी। अब ITR-3 फॉर्म को आयकर की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन भरा जा सकेगा। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं (जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शन्स – F&O), व्यवसाय करते हैं, या अनलिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं।


ITR-3 फॉर्म का उपयोग किसके लिए?

ITR-3 फॉर्म उन व्यक्तियों (Individuals) और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) के लिए है जिनकी आय किसी व्यवसाय या पेशे से होती है। इसे एक "कॉम्प्रिहेंसिव फॉर्म" कहा जाता है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार की आय को एक ही स्थान पर रिपोर्ट किया जा सकता है।


ITR-3 भरने के लिए योग्य वे लोग हैं जो:



  • शेयर ट्रेडिंग (F&O) से आय प्राप्त करते हैं (स्पेक्युलेटिव या नॉन-स्पेक्युलेटिव)


  • अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं


  • किसी फर्म में साझेदार हैं और लाभ साझा करते हैं


  • वेतन, पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी या अन्य स्रोतों से आय प्राप्त करते हैं


  • विदेशी संपत्ति रखते हैं या विदेशों से आय प्राप्त करते हैं


  • जिनकी वार्षिक कुल आय ₹50 लाख से अधिक है


  • जो ITR-1, ITR-2 या ITR-4 भरने के योग्य नहीं हैं



ITR-3 में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन:


  1. कैपिटल गेन रिपोर्टिंग में बदलाव
    अब 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद के शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को अलग-अलग रिपोर्ट करना आवश्यक है।


  2. शेयर बायबैक पर नुकसान की रिपोर्टिंग
    यदि किसी कंपनी के शेयर बायबैक में पूंजीगत नुकसान हुआ है, तो उसे विशेष रूप से दर्शाने की सुविधा दी गई है।


  3. इनकम लिमिट में बदलाव
    अब जिनकी वार्षिक आय ₹1 करोड़ से अधिक है, उन्हें अपनी संपत्ति और देनदारियों की विस्तृत जानकारी देनी होगी। पहले यह सीमा ₹50 लाख थी।


  4. TDS सेक्शन कोड की रिपोर्टिंग
    Schedule-TDS में अब TDS काटे जाने वाले सेक्शन कोड को सही-सही भरना अनिवार्य हो गया है।


  5. टैक्स रिजीम चयन की जानकारी (फॉर्म 10-IEA)
    अब करदाता को यह स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने पिछले वर्ष पुराना या नया टैक्स रिजीम चुना था, और इस वर्ष कौन-सा विकल्प चुना है।


  6. इंडेक्सेशन की जानकारी
    अगर कोई अचल संपत्ति (जैसे जमीन या बिल्डिंग) 23 जुलाई 2024 से पहले बेची गई है, तो उसकी अधिग्रहण लागत और सुधार लागत को अलग से दर्शाना होगा।


  7. डिविडेंड आय की नई रिपोर्टिंग लाइन
    अब कंपनी बायबैक से प्राप्त डिविडेंड आय को Section 2(22)(f) के अंतर्गत अलग लाइन में दर्शाना अनिवार्य हो गया है।