अलीगढ़ में कांवड़ यात्रा के लिए मूर्तियों की बढ़ती मांग

अलीगढ़ में मूर्तियों की निर्माण प्रक्रिया
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सावन के महीने और कांवड़ यात्रा के मद्देनजर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि इन मूर्तियों का निर्माण मुस्लिम कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। अलीगढ़ की पहचान पहले से ही 'ताले और तालीम' के लिए रही है, लेकिन अब यह शहर मूर्तियों के निर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनता जा रहा है।
स्थानीय मूर्ति निर्माता राजा गुप्ता ने बताया कि उनका परिवार 1957 से पीतल की मूर्तियों का निर्माण कर रहा है। वे न केवल मूर्तियों का निर्माण करते हैं, बल्कि इन्हें देश-विदेश में निर्यात भी करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव, शिवलिंग और शिव परिवार (शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय आदि) की मूर्तियों की मांग में भारी वृद्धि हुई है।
राजा गुप्ता के अनुसार, उन्हें देशभर से मूर्तियों के ऑर्डर मिल रहे हैं। उनके कार्यस्थल पर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के कारीगर काम कर रहे हैं। विशेष रूप से, फिनिशिंग का कार्य मुस्लिम कारीगर कुशलता से करते हैं। उन्होंने कहा, “त्योहारों के दौरान यह सांप्रदायिक एकता और सहयोग का एक सुंदर उदाहरण है। हम इस सहयोग का पूरा सम्मान करते हैं।”
त्योहारों की तैयारी के लिए कारोबारी एक महीने पहले से मूर्तियों का निर्माण शुरू कर देते हैं, ताकि समय पर डिलीवरी सुनिश्चित हो सके। कांवड़ यात्रा के दौरान भोलेनाथ के भक्त इन शिवलिंगों और मूर्तियों का उपयोग पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में करते हैं।
एक मुस्लिम कारीगर ने कहा, “मैं 4-5 साल से मूर्तियों का निर्माण कर रहा हूं। यहां बाहर से मूर्तियां आती हैं, और हम उनकी फिनिशिंग और पैकिंग करते हैं। सावन के महीने में भोलेनाथ की मूर्तियों की डिमांड होती है।” उन्होंने कहा कि वे खुशी से यहां काम करते हैं।