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इंडिया सीरीज नंबर प्लेट: पूरे देश में बिना पंजीकरण के चलाएं अपनी गाड़ी

इंडिया सीरीज नंबर प्लेट एक विशेष विकल्प है, जो आपको पूरे भारत में बिना दोबारा पंजीकरण के गाड़ी चलाने की अनुमति देती है। इस लेख में, हम आवेदन प्रक्रिया और पात्रता के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जानें कि आप कैसे इस नंबर प्लेट के लिए आवेदन कर सकते हैं और कौन लोग इसका लाभ उठा सकते हैं।
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इंडिया सीरीज नंबर प्लेट: पूरे देश में बिना पंजीकरण के चलाएं अपनी गाड़ी

इंडिया सीरीज नंबर प्लेट का महत्व


जब लोग नई कार खरीदते हैं, तो अक्सर वे उसमें अपनी पसंद के अनुसार बदलाव करते हैं। कई लोग कार खरीदते समय विशेष नंबर प्लेट लेना पसंद करते हैं, जैसे कि वीआईपी नंबर। लेकिन, इस नंबर प्लेट के लिए आपको अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है। इस बीच, इंडिया सीरीज नंबर प्लेट की चर्चा हो रही है। यह एक विशेष नंबर प्लेट है, जो आपको पूरे भारत में गाड़ी चलाने की अनुमति देती है। यदि आप किसी अन्य राज्य में जाते हैं, तो आपको अपने वाहन को फिर से पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं होती। आइए जानते हैं कि आप इसके लिए आवेदन कैसे कर सकते हैं।


आवेदन प्रक्रिया

आप इसके द्वारा आवेदन कर सकते हैं-



  • यदि आप BH सीरीज नंबर प्लेट प्राप्त करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के वाहन पोर्टल parivahan.gov.in/parivahan//node/1978 पर लॉगिन करना होगा।

  • इसके बाद, 'वाहन पंजीकरण' पर क्लिक करें।

  • अब आपको अपना राज्य चुनना होगा और फिर 'नए पंजीकरण के लिए आवेदन करें' विकल्प पर क्लिक करें।

  • इसके बाद, मेनू से 'इंडिया सीरीज' का चयन करें।

  • अब वाहन के विवरण जैसे मालिक का नाम, चेसिस और इंजन नंबर भरें।

  • इसके बाद, आपको आईडी प्रूफ अपलोड करना होगा।

  • पता प्रमाण के साथ अन्य संबंधित दस्तावेज भी अपलोड करें।

  • फिर, पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें, जिसके बाद आपको एक स्लिप मिलेगी, इसे सुरक्षित रखें।

  • अंत में, आरटीओ आपके आवेदन का सत्यापन करेगा और यदि सब कुछ सही पाया गया, तो आपको नंबर प्लेट जारी कर दी जाएगी।


कौन ले सकता है ये नंबर प्लेट?

इन लोगों को मिल सकती हैं ये नंबर प्लेट:-


इस नंबर प्लेट का उपयोग करने वाले लोगों में राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारी, रक्षा क्षेत्र के कर्मचारी, बैंक कर्मचारी, प्रशासनिक सेवा के कर्मचारी और चार या अधिक राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यालय रखने वाली निजी कंपनियों के कर्मचारी शामिल हैं।