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उत्तर प्रदेश में होमस्टे नीति-2025: पर्यटन को बढ़ावा देने की नई पहल

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'बेड एंड ब्रेकफास्ट और होमस्टे नीति-2025' को मंजूरी दी है। इस नीति का उद्देश्य श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुलभ, किफायती और सुरक्षित आवास प्रदान करना है। स्थानीय निवासी अपने घरों में होमस्टे के रूप में पंजीकरण करा सकेंगे, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होगा। जानें इस नई नीति के तहत पंजीकरण प्रक्रिया और शुल्क के बारे में।
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नई होमस्टे नीति का उद्देश्य

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पर्यटन और स्थानीय विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 'बेड एंड ब्रेकफास्ट (बीएंडबी) और होमस्टे नीति-2025' को मंजूरी दी गई। इस नीति का मुख्य उद्देश्य धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुलभ, किफायती और सुरक्षित आवास प्रदान करना है।


उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों जैसे वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, चित्रकूट, और प्रयागराज में साल भर लाखों पर्यटक आते हैं। खास त्योहारों और आयोजनों के दौरान इन शहरों के होटल अक्सर भरे रहते हैं, जिससे यात्रियों को रुकने में कठिनाई होती है।


इसी समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने एक नई नीति बनाई है, जिसके तहत स्थानीय निवासी अपने घरों में 1 से 6 कमरों (अधिकतम 12 बेड) तक की इकाई को होमस्टे के रूप में पंजीकृत कर सकते हैं। पर्यटक इसमें लगातार सात दिन तक ठहर सकते हैं, और आवश्यकता पड़ने पर रिन्यूअल प्रक्रिया भी सरल रखी गई है।


पंजीकरण प्रक्रिया

होमस्टे के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 500 से 750 रुपये का नाममात्र शुल्क लिया जाएगा। शहरी या सिल्वर श्रेणी के होमस्टे के लिए आवेदन शुल्क 2000 रुपये निर्धारित किया गया है। अनुमति की प्रक्रिया जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अगुवाई वाली समिति द्वारा की जाएगी।


पहले उत्तर प्रदेश में होमस्टे संचालकों को केंद्र सरकार के NIDHI+ पोर्टल पर पंजीकरण कराना पड़ता था, लेकिन अब वे राज्य सरकार की नीति के तहत स्थानीय निकायों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर सीधे रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे।