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एग फ्रीजिंग: मातृत्व के लिए एक सुरक्षित विकल्प

एग फ्रीजिंग एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो महिलाओं को अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने का अवसर देती है। यह प्रक्रिया मातृत्व को देर से अपनाने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए एक सुरक्षित विकल्प है। जानें इसके लाभ, प्रक्रिया और सफलता दर के बारे में। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से प्रभावित महिलाओं के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। इस लेख में हम एग फ्रीजिंग के बढ़ते चलन, इसकी प्रक्रिया, और इसके लिए उपयुक्त परिस्थितियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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एग फ्रीजिंग: मातृत्व के लिए एक सुरक्षित विकल्प

मां बनने का अनुभव और एग फ्रीजिंग का महत्व


मां बनना हर महिला के लिए एक अद्वितीय और खूबसूरत अनुभव होता है। अपने बच्चे को गोद में लेना किसी भी महिला के लिए एक अनमोल पल होता है। लेकिन आज के समय में महिलाओं की प्राथमिकताएं और जीवनशैली में बदलाव आ रहा है। करियर, शिक्षा, स्वास्थ्य या देर से विवाह के कारण कई महिलाएं जल्दी मातृत्व का निर्णय नहीं ले पातीं। ऐसे में एग फ्रीजिंग या ओओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन एक महत्वपूर्ण विकल्प बनकर उभरा है। यह तकनीक महिलाओं को अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने और भविष्य में जब चाहें मां बनने का अवसर प्रदान करती है।


एग फ्रीजिंग का बढ़ता चलन

हाल के वर्षों में भारत में एग फ्रीजिंग का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। कई बॉलीवुड सितारों जैसे मोना सिंह, श्वेता तिवारी और दिव्या दत्ता ने भी इस प्रक्रिया का सहारा लिया है। अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल की सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. मानिनी पटेल का कहना है, “एग फ्रीजिंग महिलाओं को अपनी फर्टिलिटी को सुरक्षित रखने का विकल्प देती है। आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में कई महिलाएं पढ़ाई, करियर या व्यक्तिगत कारणों से जल्दी प्रेग्नेंसी नहीं चाहतीं। यह तकनीक उनके लिए एक सुरक्षा जाल का काम करती है।”


विशेष रूप से, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज कराने वाली महिलाओं के लिए यह तकनीक अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि कीमोथेरेपी और रेडिएशन ओवेरियन सेल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं।


एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया में पहले महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे ओवरी से एक साथ कई अंडे विकसित हो सकें। इसके बाद, एक छोटी चिकित्सा प्रक्रिया के माध्यम से उन अंडों को निकाला जाता है और विशेष उपकरणों में अत्यधिक ठंडे तापमान पर फ्रीज कर दिया जाता है। जब महिला भविष्य में मां बनने का निर्णय लेती है, तो इन फ्रीज किए गए अंडों का उपयोग आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के जरिए किया जाता है।


विशेषज्ञों का मानना है कि 30 से 35 वर्ष की उम्र एग फ्रीजिंग के लिए सबसे उपयुक्त होती है, क्योंकि इस दौरान अंडों की गुणवत्ता और संख्या अच्छी होती है। हालांकि, 35 वर्ष के बाद भी यह संभव है, लेकिन सफलता दर में कमी आ सकती है।


एग फ्रीजिंग के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ


  • कैंसर या गंभीर बीमारियों के इलाज से पहले।


  • ऑटोइम्यून बीमारियों या हार्मोनल असंतुलन की थेरपी शुरू करने से पहले।


  • जब महिला मातृत्व को देर से अपनाना चाहती हो।


  • करियर या व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए।



एग फ्रीजिंग की सफलता दर

एग फ्रीजिंग की सफलता दर पूरी तरह से महिला की उम्र और अंडों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।



  • 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में सफलता दर लगभग 50-60% होती है।


  • 35 वर्ष के बाद अंडों की गुणवत्ता में गिरावट आती है, जिससे सफलता दर कम हो जाती है। यही कारण है कि विशेषज्ञ इसे जल्दी करवाने की सलाह देते हैं।



मां बनने की सही उम्र

प्राकृतिक रूप से 20 से 30 वर्ष की उम्र मातृत्व के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस समय महिला के अंडे स्वस्थ और संख्या में पर्याप्त होते हैं। 30 के बाद फर्टिलिटी धीरे-धीरे घटने लगती है और 35 के बाद प्रेग्नेंसी की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। हालांकि, एग फ्रीजिंग जैसी तकनीकें इस सीमा को कुछ हद तक बढ़ा सकती हैं।


बांझपन के बढ़ते कारण

आजकल बांझपन (infertility) की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसके पीछे कई कारण हैं:



  • तनाव और भागदौड़ भरी जीवनशैली


  • खराब खानपान और प्रदूषण


  • धूम्रपान और शराब का सेवन


  • वजन संबंधी समस्याएं


  • महिलाओं में पीसीओडी और हार्मोनल असंतुलन



विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और सही समय पर चिकित्सकीय विकल्प चुनकर इनफर्टिलिटी से काफी हद तक बचा जा सकता है।


एग फ्रीजिंग का खर्च

भारत में एग फ्रीजिंग की लागत 1.5 लाख से 3 लाख रुपये तक हो सकती है। इसमें हार्मोनल इंजेक्शन, अंडे निकालने और उन्हें फ्रीज करने की प्रक्रिया शामिल होती है। इसके अलावा, हर साल फ्रीज किए गए अंडों को सुरक्षित रखने का अतिरिक्त शुल्क भी लगता है।