ऑनलाइन ब्रेन ट्रेनिंग से मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में कमी
                           
                        नई दिल्ली में ब्रेन ट्रेनिंग का नया अध्ययन
नई दिल्ली: कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नई उम्मीद जगाई है। उनके हालिया क्लिनिकल ट्रायल से यह स्पष्ट हुआ है कि ऑनलाइन ब्रेन ट्रेनिंग न केवल सीखने और याददाश्त को बेहतर बना सकती है, बल्कि मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी धीमा कर सकती है।
अध्ययन में यह पाया गया कि 65 वर्ष से अधिक आयु के उन व्यक्तियों ने, जिन्होंने BrainHQ नामक ऐप का 10 हफ्तों तक प्रतिदिन उपयोग किया, उनके कोलीनर्जिक सिस्टम में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। यह मस्तिष्क की एक रासायनिक प्रणाली है, जो ध्यान, स्मृति और निर्णय लेने की क्षमताओं को नियंत्रित करती है।
अध्ययन की विशेषताएँ
यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल JMIR Serious Games में प्रकाशित हुआ है। इसमें 92 स्वस्थ वृद्ध प्रतिभागियों को शामिल किया गया। आधे प्रतिभागियों ने BrainHQ ऐप पर 10 हफ्तों तक प्रतिदिन 30 मिनट ब्रेन ट्रेनिंग की, जबकि अन्य आधे ने केवल मनोरंजन के लिए साधारण कंप्यूटर गेम खेले। परिणाम चौंकाने वाले थे, क्योंकि केवल BrainHQ समूह में मस्तिष्क की कोलीनर्जिक गतिविधि में वृद्धि हुई, जो सामान्यतः उम्र के साथ घटती है।
BrainHQ का कार्यप्रणाली
BrainHQ में स्पीड-बेस्ड कॉग्निटिव गेम्स होते हैं, जो आपकी प्रगति के अनुसार कठिन होते जाते हैं। इससे मस्तिष्क की न्यूरोप्लास्टिसिटी, यानी नई चीजें सीखने और खुद को अनुकूलित करने की क्षमता में वृद्धि होती है। मुख्य शोधकर्ता डॉ. एटियेन डी विलर्स-सिडानी ने बताया कि इस ट्रेनिंग ने मस्तिष्क के कोलीनर्जिक स्वास्थ्य को उस स्तर तक बहाल किया, जो आमतौर पर किसी 10 साल छोटे व्यक्ति में पाया जाता है। यह पहला अवसर है जब किसी गैर-दवा हस्तक्षेप ने ऐसा प्रभाव दिखाया है।
उन्होंने कहा कि अल्जाइमर रोग में यही कोलीनर्जिक सिस्टम सबसे पहले प्रभावित होता है, इसलिए ये परिणाम मनोभ्रंश के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
भविष्य की योजनाएँ
शोधकर्ता अब इस ट्रेनिंग को प्रारंभिक मनोभ्रंश से प्रभावित व्यक्तियों पर परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं। डॉ. सिडानी के अनुसार, 'BrainHQ पहले से ही बाजार में उपलब्ध है, इसलिए चिकित्सक इसे मस्तिष्क स्वास्थ्य सुधारने के एक सुरक्षित विकल्प के रूप में सुझा सकते हैं।' इस अध्ययन में मस्तिष्क में बदलावों को PET स्कैन के माध्यम से मापा गया, जिससे प्रशिक्षण के पहले और बाद के परिणामों की तुलना की गई।
