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ओशो के दृष्टिकोण से प्रेम: एक आध्यात्मिक अनुभव

ओशो के अनुसार, प्रेम केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव है। वे इसे अनुबंध नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और समर्पण का प्रतीक मानते हैं। जानें कि कैसे प्रेम की अनुभूति केवल हृदय से होती है और यह ध्यान की अवस्था में कैसे परिवर्तित हो सकता है। इस लेख में ओशो के विचारों के माध्यम से प्रेम और मोह के बीच के भेद को भी समझाया गया है।
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ओशो के दृष्टिकोण से प्रेम: एक आध्यात्मिक अनुभव

प्रेम का गहरा अर्थ


प्रेम—यह एक ऐसा शब्द है जो देखने में साधारण लगता है, लेकिन इसके भीतर गहराई और रहस्य छिपा होता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में प्रेम की खोज करता है—कभी रिश्तों में, कभी आत्मा में, और कभी ईश्वर में। लेकिन क्या हम सच में समझते हैं कि सच्चा प्रेम क्या है? ओशो, जो आधुनिक युग के प्रमुख आध्यात्मिक विचारकों में से एक माने जाते हैं, ने प्रेम को केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव के रूप में परिभाषित किया है।


प्रेम—मुक्ति का प्रतीक