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करनाल में कर्ण कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का फेज-2: वन विभाग ने रोका निर्माण

करनाल में प्रस्तावित कर्ण कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के फेज-2 पर वन विभाग ने निर्माण रोक दिया है। इस परियोजना में 120 SCO, दुकानें और पार्किंग बनाने की योजना थी, लेकिन एनओसी की कमी के कारण यह अटकी हुई है। जानें इस भूमि का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वन विभाग के दावे के बारे में।
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करनाल में कर्ण कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का फेज-2: वन विभाग ने रोका निर्माण

करनाल में कर्ण कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का फेज-2

करनाल: मुगल कैनाल की भूमि पर प्रस्तावित कर्ण कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के फेज-2 में 120 SCO, दुकानें, बूथ, सड़कें और पार्किंग बनाने की योजना निगम द्वारा बनाई गई थी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर लगभग 40 से 50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था। इसके बाद दुकानों की नीलामी से निगम का लक्ष्य अरबों रुपये का राजस्व प्राप्त करना था।


वन विभाग ने रोक लगाई

हालांकि, वन विभाग ने इस योजना पर रोक लगा दी है और अभी तक निर्माण के लिए एनओसी जारी नहीं की है। यह मामला अब दोनों विभागों के मुख्यालय में अतिरिक्त मुख्य सचिवों के पास अटका हुआ है।


फेज-2 की भूमि का विवरण

फेज-2 की भूमि लगभग 15 एकड़


अधिकारियों के अनुसार, सब्जी मंडी पुल से मेरठ रोड पुल तक की भूमि लगभग 15 एकड़ है, जिसे फेज-2 के रूप में विकसित किया जाना था।


फेज-3: मेरठ रोड से जीटी रोड तक का विस्तार किया जाना था।


फेज-1: निगम ने पहले ही 32 साल पहले 350 SCO और दुकानों का विकास किया था।


फेज-2 को भी फेज-1 की तर्ज पर एक आधुनिक वाणिज्यिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाना था। इसके बाद फेज-3 पर काम शुरू होना था।


भूमि का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

125 साल पुराना मालिकाना इतिहास


अधिकारियों का कहना है कि यह भूमि 1900 के आसपास करनाल कमेटी के रिकॉर्ड में शहर के नाले के रूप में दर्ज थी। 1911 के पंजाब म्युनिसिपल एक्ट के तहत यह नियम बना कि शहर से गुजरने वाला हर नाला कमेटी के अधीन होगा।


इसी कारण इस नाले को मुगल कैनाल नाम दिया गया और तब से यह भूमि कमेटी, नगर सुधार मंडल और अब नगर निगम की संपत्ति मानी जाती रही है।


नगर निगम के पास इसका राजस्व रिकॉर्ड भी उपलब्ध है।


वन विभाग का दावा

1972 में नोटिफाई क्षेत्र में शामिल


वन विभाग का कहना है कि यह भूमि 1972 में नोटिफाई क्षेत्र के तहत वन विभाग के हिस्से में आई थी और यहां लगभग 2500 पौधे लगाए गए हैं। इसी कारण विभाग ने एनओसी देने से मना कर दिया है।


अब यह मामला वन विभाग और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के मुख्यालय स्तर पर लंबित है।


1978 की बाढ़ का प्रभाव

1978 की बाढ़ के बाद नाला कवर करने का निर्णय


अधिकारियों के अनुसार, 1978 में आई भीषण बाढ़ और उसके बाद फैली बीमारियों के कारण सरकार ने खुले नाले को कवर करने का निर्णय लिया।


कैनाल को पक्का करने के बाद आसपास के क्षेत्रों में वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स बनाए गए—पहले फेज-1 में और अब उसी मॉडल पर फेज-2 और फेज-3 प्रस्तावित हैं।


मेयर का बयान

मेयर का बयान: जनहित का प्रोजेक्ट, मंजूरी मिलते ही शुरू होगा काम


मेयर रेणु बाला गुप्ता ने कहा कि यह भूमि नगर निगम की संपत्ति है और यह प्रोजेक्ट जनहित के लिए है। कई बार मुख्यालय स्तर पर बैठकें हो चुकी हैं और जैसे ही वन विभाग एनओसी देगा, प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा।