करवा चौथ 2025: चंद्रमा के दर्शन और पूजा विधि

करवा चौथ 2025: चंद्र निकलने का समय गुरुग्राम
करवा चौथ 2025 चंद्र निकलने का समय गुरुग्राम: करवा चौथ का त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए उपवास करती हैं। इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं चंद्रोदय का समय, पूजा का मुहूर्त और व्रत की विधि।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए निर्जला उपवास करती हैं। यह उपवास चंद्रमा के दर्शन के बाद ही खोला जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती को अखंड सौभाग्य का वरदान मिला था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। यह पर्व परिवार में प्रेम और एकता को बढ़ावा देता है।
चंद्रमा का महत्व
करवा चौथ में चंद्रमा का दर्शन अत्यंत आवश्यक है। मान्यता है कि चंद्रमा के बिना उपवास अधूरा रहता है। एक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि जो उन्हें सीधे देखेगा, उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए महिलाएं चंद्रमा को छलनी के माध्यम से देखती हैं। छलनी में जलता दीपक रखा जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और उपवास को शुभ बनाता है।
गुरुग्राम में करवा चौथ 2025 का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर को रात 10:54 बजे शुरू होगी और 10 अक्टूबर को रात 7:38 बजे समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा। चंद्रमा रात 8:13 बजे उदित होगा, और इसी समय व्रत खोलने का शुभ मुहर्त माना जाएगा।
करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ का उपवास सही विधि से करना आवश्यक है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सास द्वारा दी गई सरगी ग्रहण करें। पूजा के लिए एक साफ थाली में दीपक, गंगाजल, अक्षत, सिंदूर, हल्दी, फूल, गुड़, दूध, फल और दही रखें। शुभ मुहूर्त में उपवास का संकल्प लें और कलश में जल भरकर उसका पूजन करें। भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा के बाद की प्रक्रिया
दीपक जलाएं, धूप और आरती करें। फल, हल्दी, अक्षत और नैवेद्य चढ़ाएं। पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुनें। चंद्रमा के दर्शन पर गंगाजल, दूध या शुद्ध जल से अर्घ्य दें। छलनी से चंद्रमा और फिर पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति के हाथों पानी और मिठाई या फल लेकर उपवास खोलें। करवा चौथ का यह पर्व प्रेम और समर्पण का अनमोल अवसर है। यदि आप इस उपवास की तैयारी कर रही हैं, तो इन नियमों और समय का ध्यान रखें।