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किशोर कुमार की जयंती: खंडवा में खंडहर में तब्दील हुआ पुश्तैनी बंगला

किशोर कुमार की जयंती पर, उनके खंडवा स्थित पुश्तैनी बंगले की कहानी सामने आई है, जो अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। इस बंगले में आज भी बिजली का कनेक्शन सक्रिय है, और इसकी देखरेख 80 वर्षीय सीताराम सावनेर कर रहे हैं। किशोर दा की यादों को जीवित रखने वाली इस कहानी में उनके परिवार का योगदान भी शामिल है। जानें इस बंगले की अनोखी कहानी और किशोर कुमार की विरासत के बारे में।
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किशोर कुमार की जयंती: खंडवा में खंडहर में तब्दील हुआ पुश्तैनी बंगला

किशोर कुमार का जन्मस्थान

किशोर कुमार की जयंती: खंडवा में किशोर कुमार का जन्मस्थान अब खंडहर में बदल चुका है, लेकिन इसकी कहानी आज भी जीवित है। बिजली का बिल और चौकीदार की निष्ठा इस बंगले को किशोर दा की यादों से जोड़े रखती है।


खंडवा में किशोर कुमार का पुश्तैनी बंगला

मध्य प्रदेश के खंडवा में किशोर कुमार का पुश्तैनी बंगला, जहां इस बहु-प्रतिभाशाली कलाकार ने जन्म लिया, अब खंडहर की स्थिति में है। नगर निगम ने इसे कंडम घोषित कर दिया है, फिर भी इस बंगले में आज भी बिजली का कनेक्शन सक्रिय है। यह कनेक्शन किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल गांगुली के नाम पर है। जैसे ही सूरज ढलता है, बंगले का बरामदा रोशनी से जगमगा उठता है, मानो किशोर दा की मधुर आवाज की गूंज आज भी यहां सुनाई देती हो।


बंगले का बिजली बिल

आज भी आता है किशोर कुमार के बंगले का बिल

इस बंगले की देखरेख पिछले 60 वर्षों से 80 वर्षीय सीताराम सावनेर कर रहे हैं। वे बरामदे में रहते हैं और अपनी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाते हैं। सीताराम बताते हैं, 'मैं रात में यहीं रहता हूं। एक पंखा और बल्ब लगाया है, जिसके लिए बिजली का बिल आता है। पिछले महीने 200 रुपये का बिल आया, जिसे मेरी पगार से चुकाया गया।' किशोर कुमार के भतीजे अर्जुन कुमार उन्हें हर महीने सात हजार रुपये की पगार देते हैं। बंगले का सालाना टैक्स भी परिवार द्वारा समय-समय पर जमा किया जाता है, जो नगर निगम के रिकॉर्ड में कुंजीलाल गांगुली के नाम पर दर्ज है।


पुश्तैनी बंगले का बंटवारा

बंटवारे में बंटा पुश्तैनी बंगला

किशोर कुमार का यह बंगला दो हिस्सों में बंट चुका है। इसका 75 प्रतिशत हिस्सा किशोर दा के भाई अनूप कुमार के बेटे अर्जुन कुमार के पास है, जबकि शेष हिस्सा किशोर कुमार के बेटे सुमित कुमार के नाम है। सीताराम ने बताया कि जब भी अर्जुन खंडवा आते हैं, वे बंगले की स्थिति पर चर्चा करते हैं। लेकिन जर्जर हालत के कारण यह बंगला अब रहने योग्य नहीं रहा।


किशोर कुमार की विरासत

किशोर कुमार की गायकी और अभिनय ने लाखों दिलों को जीता, और उनका यह बंगला उनकी सादगी और जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक है। भले ही बंगला खंडहर बन गया हो, लेकिन सीताराम की चौकीदारी और बिजली के बिल की यह अनोखी कहानी किशोर दा की यादों को जीवित रखती है।